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मुंबई: स्कूली नाबालिग छात्राओं से छेड़छाड़, पुलिस ने खड़े कर दिए हाथ

Updated on: 10 February, 2024 03:30 PM IST | mumbai
Apoorva Agashe | mailbag@mid-day.com

जब माता-पिता में से एक ने साकीनाका पुलिस से संपर्क किया तो पुलिस ने उन्हें लौटा दिया क्योंकि लड़के नाबालिग हैं.

Representational Image

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की हाइलाइट्स

  1. साकीनाका की नाबालिग छात्राओं को स्कूल जाने से लगता है डार
  2. आसपास की झुग्गियों के लड़कों का एक ग्रुप उन्हें परेशान कर रहा है
  3. लड़कियों के परिजनों का आरोप है कि लड़के भद्दे कमेंट्स कर रहे हैं

Mumbai Boys Harass School Girl: साकीनाका की स्कूली लड़कियां पिछले कुछ महीनों से स्कूल जाने से डर रही हैं, क्योंकि आस-पास की झुग्गियों के नाबालिग लड़कों का एक ग्रुप कथित तौर पर उन्हें परेशान कर रहा है. स्कूली लड़कियां जब-जब आस-पास की झुग्गियों से गुजरती है कुछ लड़के उन्हें परेशान करते हैं. लड़कियों के परिवार वालों का आरोप है कि लड़के भद्दे कमेंट्स कर रहे हैं और उन पर अंडे भी फेंके हैं. जब माता-पिता में से एक ने साकीनाका पुलिस से संपर्क किया तो पुलिस ने उन्हें लौटा दिया क्योंकि लड़के नाबालिग हैं और उन्हें बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) की अनुमति की आवश्यकता होगी. उन्होंने कहा कि, `जब हमारी बेटी ने हमें घटना के बारे में बताया तो हम सदमे में थे. कुछ लड़कों का ग्रुप दिसंबर से ही अश्लील कमेंट कर रहा था. लेकिन, जब उन्होंने अंडे फेंके तो उन्होंने हद पार कर दी. 14 वर्षीय लड़की के पिता ने कहा, `आमतौर पर मेरी पत्नी मेरी बेटी को लेने जाती है लेकिन उस दिन उसे देर हो गई थी. लड़कों ने अंडे फेंके जिस कारण मेरी बेटी का चेहरा सूज गया. 19 जनवरी को, हमने पहली बार एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस से संपर्क किया. लेकिन, हमें बताया गया कि लड़के नाबालिग हैं और इसलिए वे सीधे एफआईआर दर्ज नहीं कर सकते, उन्हें सीडब्ल्यूसी से संपर्क करना होगा.`

उन्होंने आगे कहा, `हमें उस लड़के के माता-पिता से बात करने के लिए बुलाया गया था जिसने मेरी बेटी पर अंडा फेंका था. लड़के के परिवार ने दावा किया कि वह उस समय ट्यूशन के लिए गया था. हमें पुलिस द्वारा मामले की स्थिति के बारे में भी अपडेट नहीं किया गया है. लड़कियां अब स्कूल जाने से डरती हैं और हम उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं.` लड़की के माता-पिता की शिकायत के बाद, पुलिस ने समूह के एक लड़के को पुलिस स्टेशन बुलाया और केवल कुछ सवालों के साथ उसे बिना किसी चेतावनी के छोड़ दिया. ऐसा लगता है कि इससे लड़कों को साहस मिला है और अब जब लड़कियां स्कूल के बाहर निकलती हैं तो उन्हें वह लड़के दिखाई देते है. 


एक अन्य लड़की के पिता ने कहा, `पुलिस से शिकायत करने के बाद भी, उनमें से एक लड़का अभी भी बिना किसी कारण के स्कूल परिसर में घूमता है, डर पैदा करने के लिए स्कूल के बाहर इंतजार करता है जब लड़कियां चली जाती हैं. उन्होंने आगे कहा, `राहगीरों में से एकमहिला ने देखा था कि लड़के ने पीड़िता पर अंडा फेंका था. उसने बीच-बचाव करने की कोशिश की लेकिन लड़कों ने उसकी पिटाई कर दी. लड़के बहुत असभ्य हैं और इलाके में बिना किसी झिझक के खुलेआम घूमते हैं.` रिपोर्टों की पुष्टि करते हुए, साकीनाका पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पीआई गबाजी चिमटे ने कहा, `चूंकि इस अपराध में सभी नाबालिग शामिल हैं, इसलिए हमने बाल कल्याण समिति को एक रिपोर्ट सौंप दी है और उचित कार्रवाई करने के लिए हम उनकी रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं.`


जब कोई विकल्प नहीं बचा तो पीड़ितों के परिवार के सदस्यों ने वकील पंकज मिश्रा से संपर्क किया. मिश्रा और पीड़ित परिवार ने जोन 10 के डीसीपी दत्ता नलवाडे से संपर्क किया और उच्च न्यायालय को एक पत्र लिखा क्योंकि उन्हें मामले के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. पंकज मिश्रा ने कहा, `हमने डीसीपी को एक पत्र लिखा था, उन्होंने साकीनाका पुलिस को उचित कार्रवाई करने और हमें इसकी स्थिति के बारे में अपडेट करने का निर्देश दिया। हमारे पत्र के जवाब में, उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि पुलिस हमें मामले की स्थिति के बारे में अपडेट करे, लेकिन हमें कोई अपडेट नहीं मिला है.`

मिश्रा ने आगे कहा, `डीसीपी और अदालत के निर्देशों के बावजूद, हमें बताया गया है कि सीडब्ल्यूसी को एक पत्र भेजा गया है क्योंकि पुलिस सीडब्ल्यूसी के आदेश के बिना नाबालिगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कर सकती है.`


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