Updated on: 04 March, 2025 02:38 PM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस प्रकार की घटनाओं के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे मानसिक तनाव, व्यक्तिगत समस्याएं या अन्य दबाव, लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आया है.
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मुंबई पुलिस के कांस्टेबल ने गोरेगांव स्थित अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. यह घटना सोमवार दोपहर को हुई, जब 37 वर्षीय कांस्टेबल सुभाष कंगने ने कथित तौर पर अपने घर में पंखे से लटककर आत्महत्या की. कांस्टेबल कुरार पुलिस स्टेशन में तैनात थे और गोरेगांव के एक आवासीय क्षेत्र में रहते थे. अधिकारी ने बताया कि सुभाष कंगने की शादी तीन महीने पहले ही हुई थी, और यह हादसा उनके घर में हुआ. पुलिस को इस घटना के बारे में सूचना मिलने के बाद तुरंत वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और कांस्टेबल को नजदीकी अस्पताल ले गए. अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
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इस दुखद घटना के बाद पुलिस विभाग ने घटना की जांच शुरू कर दी है और आत्महत्या के कारणों का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है. प्रारंभिक जांच के आधार पर आकस्मिक मृत्यु रिपोर्ट (एडीआर) दर्ज कर ली गई है और आगे की जांच जारी है. अधिकारी ने कहा कि पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है, ताकि आत्महत्या के पीछे के कारणों का पता चल सके.
यह घटना पुलिस विभाग और उनके परिवार के लिए एक बड़ा आघात है. सुभाष कंगने के परिवार के सदस्य और साथी पुलिसकर्मी इस हादसे से स्तब्ध हैं. पुलिस ने उनके परिवार को घटना के बारे में सूचित किया है, और इस मुश्किल समय में परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया गया है.
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस प्रकार की घटनाओं के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे मानसिक तनाव, व्यक्तिगत समस्याएं या अन्य दबाव, लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आया है. जांच जारी है और पुलिस ने सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए मामले की तहकीकात करने का वादा किया है.
आत्महत्या की इस घटना ने यह सवाल उठाया है कि पुलिसकर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि वे भी समाज में होने वाली घटनाओं का सामना करते हैं और कई बार यह दबाव उन्हें मानसिक रूप से परेशान कर सकता है. पुलिस विभाग के अधिकारियों ने इस घटना के बाद मानसिक स्वास्थ्य की दिशा में कुछ कदम उठाने की आवश्यकता को महसूस किया है.
इस दुखद घटना के साथ ही यह एक गंभीर संदेश भी देता है कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज और कामकाजी संस्थाओं में और जागरूकता और संवेदनशीलता की आवश्यकता है.
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