Updated on: 07 June, 2025 01:12 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
निवासियों ने मिड-डे को यह भी बताया कि मानसून के मौसम में, सबवे से गुजरना एक दुःस्वप्न जैसा होता है क्योंकि पैदल चलने वालों के रास्ते पर कीचड़ जमा हो जाता है.
तस्वीरें/निमेश दवे
नागरिकों ने शिकायत की है कि अंधेरी सबवे में पर्याप्त रोशनी नहीं है, जिससे कई लोगों को पैदल चलने वालों के लिए बनाए गए रास्ते के बजाय व्यस्त वाहनों के रास्ते से चलना पड़ता है, जिससे वे खुद को काफी जोखिम में डालते हैं. निवासियों ने मिड-डे को यह भी बताया कि मानसून के मौसम में, सबवे से गुजरना एक दुःस्वप्न जैसा होता है क्योंकि पैदल चलने वालों के रास्ते पर कीचड़ जमा हो जाता है, जिससे यह फिसलन भरा हो जाता है. इसके अलावा, अंडरपास में अक्सर शराबी भी आते हैं.
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सबवे के पास एक दुकान के मालिक राजेश डे ने कहा, "जब बारिश होती है, तो पानी जमा हो जाता है. लोगों के पास वाहनों के रास्ते से जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता, जो खतरनाक है." गीता मालाकार ने कहा, "कभी-कभी रोशनी नहीं होती है और बारिश के दौरान, मैं पैदल चलने वालों के रास्ते का इस्तेमाल नहीं करती. यह बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है." हाउसकीपर के रूप में काम करने वाली कल्पना थोरात ने कहा, "मैं रात में अंडरपास से बचती हूँ. शराब के नशे में लोग अक्सर सबवे से गुजरते हैं, और उचित रोशनी के बिना, किसी भी महिला को अकेले इसमें पैर नहीं रखना चाहिए." सुदीप्ता गुप्ता ने मिड-डे से कहा, "अगर पैदल चलने वालों के लिए रास्ता बेहतर होता, तो मैं निश्चित रूप से इसका ज़्यादा इस्तेमाल करती. लेकिन मैं ज़्यादातर समय वाहनों के लिए बने रास्ते पर चलना पसंद करती हूँ." रुखसाना शकील अंसारी ने कहा, "रात में बहुत अंधेरा होता है, इसलिए मैं जोखिम नहीं उठाती."
यह समस्या सिर्फ़ अंधेरी तक सीमित नहीं है. महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण के लिए काम करने वाले संगठन और संसाधन केंद्र अक्षरा सेंटर द्वारा किए गए ऑडिट के अनुसार, मुंबई भर में कई सबवे खराब रोशनी, जलभराव और सुरक्षा संबंधी चिंताओं से ग्रस्त हैं. वॉचडॉग फाउंडेशन नामक एक गैर सरकारी संगठन ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) से संपर्क किया है और अधिकारियों से स्थिति में सुधार करने को कहा है.
इसकी सबसे बड़ी चिंता उचित रोशनी की कमी है. इसने यह भी अनुरोध किया है कि सबवे को बार-बार साफ किया जाए क्योंकि इसका लगातार इस्तेमाल होता रहता है. इसका मानना है कि ये कदम सुरक्षा की भावना को वापस लाने में मदद करेंगे और लोगों को पैदल चलने वालों के लिए अंडरपास का फिर से इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे.
एनजीओ के ट्रस्टी एडवोकेट गॉडफ्रे पिमेंटा, जिन्होंने हाल ही में अंडरपास का इस्तेमाल किया था, ने मिड-डे को बताया: "वहां इतना अंधेरा था कि टॉर्च के बिना साफ-साफ देख पाना असंभव था. यह डरावना है कि लोगों को वाहनों के लिए बने इस रास्ते का इस्तेमाल करते हुए अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ रही है, क्योंकि पैदल चलने वालों के लिए यह रास्ता सुरक्षित नहीं है." के वेस्ट वार्ड के सहायक नगर आयुक्त चक्रपाणि एले ने प्रेस में जाने तक मिड-डे के सवालों का जवाब नहीं दिया.
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