Updated on: 29 October, 2025 07:59 PM IST | Mumbai
Shirish Vaktania
अधिकारियों ने बताया कि उसे 24 अक्टूबर को छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ड्यूटी पर तैनात 58 वर्षीय आव्रजन अधिकारी मिलिंद पलांडे ने पकड़ा था.
शांति अर्जुनसिंग थापा उर्फ चंदा गणेश रेग्मी. तस्वीर/विशेष व्यवस्था
मुंबई हवाई अड्डे पर आव्रजन अधिकारियों ने 49 वर्षीय शांति अर्जुनसिंह थापा उर्फ चंदा गणेश रेग्मी नामक एक नेपाली महिला को भारतीय मतदाता पहचान पत्र के साथ पाए जाने पर हिरासत में लिया. आव्रजन विभाग ने उसके जाली आधार और पैन कार्ड भी ज़ब्त कर लिए. अधिकारियों ने बताया कि उसे 24 अक्टूबर को छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ड्यूटी पर तैनात 58 वर्षीय आव्रजन अधिकारी मिलिंद पलांडे ने पकड़ा था.
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बाद में उसे सहार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. जाँच में पता चला कि थापा पिछले 30 सालों से भारत में रह रही है. वह पिछले 20 सालों से जाली दस्तावेज़ों के ज़रिए भारत में वोट भी डाल रही थी. एक पुलिस अधिकारी ने बताया, "24 अक्टूबर को शाम लगभग 6.15 बजे, थापा आव्रजन मंजूरी के लिए मुंबई हवाई अड्डे पर पहुँची, जहाँ उसने अपना भारतीय मतदाता पहचान पत्र और बोर्डिंग पास दिखाया. बोर्डिंग पास के अनुसार, वह नेपाल के काठमांडू से मुंबई की उड़ान से आई थी."
पुलिस अधिकारी ने आगे बताया, "आव्रजन अधिकारी पलांडे ने उसकी मतदाता पहचान पत्र की जाँच की और उससे नेपाल यात्रा के बारे में पूछताछ की, लेकिन वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई. उसके पहले नाम के आधार पर, पलांडे को संदेह हुआ कि वह नेपाली नागरिक हो सकती है और उन्होंने उसे आगे की पूछताछ के लिए संबंधित अधिकारियों के पास भेज दिया. पूछताछ के दौरान, यह पुष्टि हुई कि वह एक नेपाली नागरिक है. उसने अधिकारियों को बताया कि वह 1996 में अपने पति अर्जुनसिंह थापा के साथ भारत आई थी और कल्याण में बस गई थी." महिला ने सबूत के तौर पर अपना नेपाली नागरिकता कार्ड दिखाया, जिसमें उसका असली नाम चंदा रेग्मी और निवास स्थान काठमांडू बताया गया. इसके बाद, उसे आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए सहार पुलिस को सौंप दिया गया.
अधिकारी ने आगे कहा, "जांच के दौरान, थापा ने खुलासा किया कि वह पिछले 20 वर्षों से भारत में वोट डाल रही है." भारत और नेपाल के बीच दोहरी नागरिकता का कोई प्रावधान नहीं है. गैर-भारतीय नागरिक भारतीय मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट या भारतीय नागरिकों के लिए आरक्षित अधिकार और लाभ प्रदान करने वाले किसी भी आधिकारिक दस्तावेज़ के हकदार नहीं हैं.
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