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अब मुंबई में मिला HMPV का मामला, बीएमसी ने तैयार किया आइसोलेशन वार्ड

Updated on: 09 January, 2025 06:47 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

उस वक्त बच्ची का ऑक्सीजन लेवल 84 था. लड़की का परीक्षण किया गया और उसके एचएमपीवी से संक्रमित होने की पुष्टि हुई.

मुंबई में लोगों ने एहतियात के तौर पर मास्क पहनना फिर से शुरू कर दिया है. (फोटो- आशीष राजे)

मुंबई में लोगों ने एहतियात के तौर पर मास्क पहनना फिर से शुरू कर दिया है. (फोटो- आशीष राजे)

महाराष्ट्र के नागपुर में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के दो संदिग्ध मामले सामने आने के बाद कल पता चला कि मुंबई में एक 6 महीने की बच्ची इस वायरस से संक्रमित हो गई है. लड़की को गंभीर खांसी और सीने में जकड़न के कारण 1 जनवरी को पवई के हीरानंदानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उस वक्त बच्ची का ऑक्सीजन लेवल 84 था. लड़की का परीक्षण किया गया और उसके एचएमपीवी से संक्रमित होने की पुष्टि हुई. 

इस वायरस का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है, इसलिए लड़की को गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में रखा गया और ब्रोन्कोडायलेटर्स, यानी फेफड़ों की मांसपेशियों को आराम देने सहित उपचार दिया गया. बच्ची की सेहत में सुधार हुआ और पांच दिन बाद उसे छुट्टी दे दी गई. डॉक्टरों का कहना है कि एचएमपीवी कोरोना जितना घातक नहीं है, इसलिए डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन सावधान रहना जरूरी है. मुंबई में एचएमपीवी मामले के मद्देनजर, बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) स्वास्थ्य विभाग ने मुंबई में खांसी, कफ या बुखार के रोगियों पर कड़ी निगरानी रखने का निर्णय लिया है. बीएमसी ने एहतियात के तौर पर एचएमपीवी मरीजों के लिए एक आइसोलेशन वार्ड तैयार किया है.


देश में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के मामलों को लेकर बढ़ती चिंता के बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने देश में श्वसन संबंधी बीमारियों की वर्तमान स्थिति और इसके प्रबंधन के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की स्थिति की समीक्षा की. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार बैठक के दौरान, उन्होंने आश्वस्त किया कि एचएमपीवी से जनता के लिए चिंता का कोई कारण नहीं है, जो 2001 से वैश्विक स्तर पर मौजूद है.


राज्यों को वायरस के संचरण की रोकथाम के बारे में लोगों के बीच आईईसी और जागरूकता बढ़ाने की सलाह दी गई, जैसे कि साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोना; बिना धुले हाथों से अपनी आँखें, नाक या मुँह को छूने से बचना; ऐसे लोगों के साथ निकट संपर्क से बचना जिनमें बीमारी के लक्षण दिख रहे हों; खांसते और छींकते समय मुंह और नाक को ढकें.


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