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`अब अपने कर्मों का फल भोगो`- मुंब्रा में मराठी युवक से माफी मामले पर भड़के अविनाश जाधव

Updated on: 03 January, 2025 12:53 PM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar | ujwala.dharpawar@mid-day.com

मुंब्रा में मराठी युवक और फल विक्रेता के बीच भाषा को लेकर हुए विवाद ने स्थानीय स्तर पर बहस छेड़ दी. मराठी में बातचीत की मांग पर बहस बढ़ी, और युवक के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज हुई.

जाधव के इस बयान ने सोशल मीडिया पर लोगों का ध्यान खींचा और मराठी गौरव के समर्थकों के बीच बहस छेड़ दी.

जाधव के इस बयान ने सोशल मीडिया पर लोगों का ध्यान खींचा और मराठी गौरव के समर्थकों के बीच बहस छेड़ दी.

मुंब्रा में एक फल विक्रेता और मराठी युवक के बीच भाषा को लेकर हुए विवाद ने स्थानीय स्तर पर हलचल मचा दी. घटना तब शुरू हुई जब मराठी युवक ने फल विक्रेता से मराठी में बात करने की मांग की. यह मांग विक्रेता और युवक के बीच बहस का कारण बन गई. बहस के दौरान मामला गर्माया और वहां मौजूद भीड़ ने हस्तक्षेप किया. इसके बाद मराठी युवक को मुंब्रा पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जहां उसके खिलाफ एक एनसी (नॉन कॉग्निजेबल) शिकायत दर्ज की गई.

घटना ने मराठी अस्मिता और भाषा की महत्ता को लेकर एक नई बहस छेड़ दी. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के नेता और ठाणे जिला अध्यक्ष अविनाश जाधव ने इस पूरे प्रकरण पर प्रतिक्रिया देते हुए इंस्टाग्राम पर एक वीडियो साझा किया. वीडियो में उन्होंने इस घटना को मराठी भाषा और मराठी लोगों के प्रति अपमानजनक करार दिया.


अविनाश जाधव ने अपने पोस्ट में लिखा, "मराठी बोलना अब अपराध बन गया है. महाराष्ट्र में मराठी बोलने के लिए माफी मांगनी पड़ रही है! यह अब हर चौराहे पर होगा, और मराठी लोग बस तमाशा देखते रहेंगे. यही कारण है कि महाराष्ट्र को राज साहब की जरूरत थी. अब अपने कर्मों का फल भोगो."


जाधव के इस बयान ने सोशल मीडिया पर लोगों का ध्यान खींचा और मराठी गौरव के समर्थकों के बीच बहस छेड़ दी. महाराष्ट्र में भाषा का मुद्दा लंबे समय से संवेदनशील रहा है, और यह घटना इस विषय को फिर से चर्चा के केंद्र में ले आई है. जाधव का यह बयान न केवल MNS समर्थकों बल्कि अन्य मराठी भाषी लोगों के बीच भी समर्थन और आलोचना का कारण बना.

 


 
 
 
 
 
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मुंब्रा जैसे क्षेत्रों में, जहां विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों का मेलजोल है, ऐसी घटनाएं सामुदायिक सौहार्द पर असर डाल सकती हैं. हालांकि, पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने इस मामले को नियंत्रित करने का प्रयास किया है, लेकिन यह घटना मराठी भाषा और अस्मिता की रक्षा के लिए समाज में बढ़ती चिंताओं को उजागर करती है.

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