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शादी की सालगिरह पर रामदास आठवले ने पत्नी के साथ मिलकर उज्जवल निकम के लिए किया प्रचार

Updated on: 16 May, 2024 02:23 PM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar | ujwala.dharpawar@mid-day.com

रामदास आठवले अपनी पत्नी और महायुति उम्मीदवार उज्जवल निकम के साथ चुनावी प्रचार करते दिखाई दे रहे हैं. 

 चुनाव के चलते आठवले ने बेहद खास अंदाज में अपनी शादी की सालगिरह मनाई.

चुनाव के चलते आठवले ने बेहद खास अंदाज में अपनी शादी की सालगिरह मनाई.

Ramdas Athawale Wedding Anniversary: रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास आठवले की आज 16 मई को 33वीं शादी की सालगिरह है. चुनाव के चलते आठवले ने बेहद खास अंदाज में अपनी शादी की सालगिरह मनाई. इस दिन को खास बनाते हुए उन्होंने बांद्रा पूर्व में महायुति उम्मीदवार एडवोकेट उज्जवल निकम के लिए प्रचार किया. इस प्रचार के दौरान रामदास आठवले की पत्नी सीमा आठवले भी उनके साथ मौजूद थी. इस जोड़े ने उज्ज्वल निकम के प्रचार अभियान में भाग लेकर अपनी खुशहाल शादी का 33वां जन्मदिन अनोखे तरीके से मनाया. इस रैली से जुड़ी कुछ तस्वीरें सामने आई है. जिसमें रामदास आठवले अपनी पत्नी और महायुति उम्मीदवार उज्जवल निकम के साथ चुनावी प्रचार करते दिखाई दे रहे हैं. 

तस्वीरों में आप देख सकते है कि सीमा आठवले इस दौरान काफी खुश दिखाई दे रही है. शादी की सालगिरह पर इस तरह से प्रचार करना एक अनोखा तरीका है. देखें तस्वीरें- 



आपको बता दें, केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास आठवले चुनाव प्रचार के दौरान काफी सक्रिय दिखाई दे रहे है. इंडिया गठबंधन की तरह से बार-बार यह कहा जा रहा है कि मोदी का 400 पार का नारा मतलब संविधान में बदलाव है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए 
एक रैली में उन्होंने कहा, `डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर द्वारा देश को दिया गया संविधान विश्व का सर्वश्रेष्ठ संविधान है. संविधान के कारण ही भारत में विश्व का सबसे बड़ा संसदीय लोकतंत्र फल-फूल रहा है संविधान के कारण ही भारतीय लोकतंत्र अभेद्य और मजबूत है. संविधान निर्माता के रूप में अम्बेडकर में ज्ञान का सागर बनने की क्षमता थी युग को बदलें और भविष्य को देखने की दूरदर्शिता का परिचय दें, इसलिए संविधान की रक्षा के लिए अम्बेडकर ने संविधान की रक्षा के लिए मूल्यों की एक रूपरेखा स्थापित की इसे संविधान का ढांचा कहा जाता है.`


रामदास आठवले ने आगे कहा, `संविधान को कभी भी कोई नहीं बदल सकता. भारतीय राजनीति के सभी राजनीतिक दल और राजनीतिक आंदोलन इस दौर की सच्चाई जानते हैं, लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दल झूठा प्रचार कर दलितों की सहानुभूति हासिल करने की बेताब कोशिश कर रहे हैं कि संविधान बदल दिया जायेगा, इसका मतलब है कि कांग्रेस के रुपये मगरमच्छों की आंखों में आंसू हैं, यह बात दलित-बहुजनों ने पहचान ली है.`

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