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न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में घोटाला, दूसरे दिन भी लगी रही लोगों की भीड़

Updated on: 16 February, 2025 12:56 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

हालांकि, उन्हें लॉकर ऑपरेट करने की जानकारी दी गई थी.

बैंक के बाहर लोगों की भीड़

बैंक के बाहर लोगों की भीड़

न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में हुए वित्तीय घोटाले के कारण लाखों कर्जदारों की हालत खराब हो गई है क्योंकि रिजर्व बैंक ने इसके प्रबंधन पर छह महीने के लिए प्रतिबंध लगा दिया है. कल भी बड़ी संख्या में ग्राहक अपनी-अपनी शाखाओं में यह जानकारी लेने पहुंचे कि अब क्या होगा. हालांकि, उन्हें सिर्फ लॉकर ऑपरेट करने की जानकारी दी गई थी.

आर्थिक तालमेल और गवर्नेंस संबंधी मुद्दों के चलते रिजर्व बैंक द्वारा लिए गए फैसले से कई खाताधारकों की नींद उड़ गई है. कल भी `मिड-डे` ने कुछ खाताधारकों से बात की, उन्होंने कहा कि बेहतर होगा कि यह समस्या जल्द ही सुलझ जाए क्योंकि घर के सभी खाते इसी बैंक में हैं.बी अंधेरी के निरल देधिया ने `मिड-डे` को बताया कि मेरे माता-पिता सहित सभी का न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में खाता है. हमारा लॉकर भी यहीं है. हालांकि इसमें से सामान हटा लिया गया है, लेकिन सेविंग अकाउंट में अच्छा बैलेंस है, जो अब कुछ समय के लिए ब्लॉक हो जाने के कारण बंद हो गया है, क्योंकि हम सभी लेन-देन न्यू इंडिया बैंक अकाउंट से कर रहे थे. इसके अलावा दुकान का चालू खाता भी इसमें चल रहा था. कभी नहीं सोचा था कि बैंक अचानक बंद हो जाएगा. अच्छा हुआ कि फिक्स्ड डिपॉजिट नवंबर महीने में मैच्योर हो गया, नहीं तो ब्लॉक हो जाता.


इस संबंध में अंधेरी स्थित पटेल पैलेस सोसायटी के सेक्रेटरी संकेश प्रजापति ने `मिड-डे` को बताया कि `हमारी सोसायटी का सेविंग अकाउंट न्यू इंडिया बैंक में है, यह पुराना बैंक है, इसकी सर्विस भी अच्छी है, इसलिए इस बैंक पर भरोसा था.` सोसायटी के पास बैंक में 2 लाख रुपये और खाते में 5 लाख रुपये की सावधि जमा है. सवाल यह है कि बैंकों पर अचानक प्रतिबंध लगने के बाद सोसायटी के संपत्ति कर, लाइट-बिल, कर्मचारियों के वेतन का प्रबंधन कैसे किया जाएगा. अब हम समाज के लोगों के साथ बैठक कर उचित निर्णय लेंगे. छह महीने तक कुछ नहीं हो सकता, उसके बाद भी कुछ नहीं कहा जा सकता कि कितना समय लगेगा, बैंक कुछ रुपये निकालने की इजाजत दे तो अच्छा रहेगा. अब बैंकों से भरोसा उठने लगा है, ऐसा लगता है कि सिर्फ सरकारी बैंकों पर ही भरोसा किया जाना चाहिए.`


मलाड की कविता केन्या ने `मिड-डे` को बताया कि `मैंने 2018 में न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में खाता खोला, मेरे खाते में दस हजार रुपये हैं और बीस हजार रुपये का फिक्स्ड डिपॉजिट भी है. इसके अलावा मैंने इस बैंक से जो लोन लिया था उसकी तीन किश्तों के चेक भी दे दिए हैं. बच्चों की स्कूल फीस का भुगतान, लड़की बहिना का पैसा भी इसी खाते में आता था, मेरा ज्यादातर लेनदेन इसी बैंक से होता था. ऐसे में बैंकों के अचानक बंद होने से मध्यम वर्ग के लोगों की परेशानी बढ़ गई है. कुछ रुपये भी निकालने की इजाजत मिलनी चाहिए.

इस संबंध में कांदिवली के अरविंद गोटेचा ने `मिड-डे` को बताया कि बैंक में एक लाख रुपये का फिक्स्ड डिपॉजिट है. हालांकि शुक्रवार की सुबह जैसे ही मुझे पता चला कि बैंक संकट में है, मैंने लॉकर में रखा सामान बाहर निकाला, लेकिन फिक्स डिपॉजिट का पैसा कब मिलेगा, इसका मुझे कोई अंदाजा नहीं है. जब तक रिजर्व बैंक की ओर से कोई गाइडलाइन नहीं आ जाती, बैंकर्स कोई जवाब नहीं देंगे.


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