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स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा को खास पुलिस का समन, एकनाथ शिंदे पर कविता बनी वजह

Updated on: 25 March, 2025 10:36 AM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे पर विवादित कविता पोस्ट करने को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है.

X/Pics

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महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे को लेकर लिखी गई एक विवादित कविता के चलते अब स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा को कानूनी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. पुलिस ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री साझा करने के आरोप में उन्हें समन जारी किया है.

यह मामला सबसे पहले MIDC पुलिस के पास पहुंचा, जहां एक शिकायत दर्ज की गई थी. शिकायत में आरोप था कि कुणाल ने सोशल मीडिया पर एकनाथ शिंदे के खिलाफ अभद्र भाषा का उपयोग करते हुए एक कविता पोस्ट की है, जिससे जनभावनाएं आहत हुई हैं और एक सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति की गरिमा को ठेस पहुंची है. बाद में यह केस जांच के लिए खार पुलिस को सौंप दिया गया.


खार पुलिस ने कुणाल कामरा को समन जारी कर पूछताछ के लिए उपस्थित होने को कहा है. चूंकि कुणाल इस समय मुंबई में नहीं हैं, इसलिए पुलिस ने उनके घर जाकर समन उनके पिता को सौंपा और साथ ही व्हाट्सऐप के जरिए भी समन की कॉपी भेज दी है. पुलिस ने स्पष्ट किया है कि यह एक संवेदनशील मामला है और उन्हें जल्द से जल्द जांच अधिकारी के सामने पेश होकर सहयोग करना होगा.


 


 

कुणाल कामरा इससे पहले भी अपने तीखे राजनीतिक व्यंग्य और सोशल मीडिया पोस्ट्स के चलते कई बार चर्चा में रहे हैं. वे अक्सर सत्ताधारी नेताओं और नीतियों पर सवाल उठाते हैं, जिससे उन्हें समर्थन के साथ-साथ आलोचना भी मिलती है. हालांकि, इस बार मामला सिर्फ व्यंग्य या राय तक सीमित नहीं रहा, बल्कि कानूनी कार्रवाई के दायरे में पहुंच चुका है.

पुलिस सूत्रों का कहना है कि यदि कुणाल तय समय पर पूछताछ में शामिल नहीं होते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. इस पूरे घटनाक्रम पर फिलहाल कुणाल की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.

अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि कुणाल कामरा इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं और पुलिस की पूछताछ में क्या तथ्य सामने आते हैं. यह घटना न केवल सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की सीमाओं को लेकर बहस को जन्म देती है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करती है कि व्यंग्य और आपराधिक मामला—इनके बीच रेखा कहां खींची जाए.

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