Updated on: 04 August, 2025 08:20 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने याचिकाकर्ता सुनील शुक्ला - उत्तर भारतीय विकास सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष - से पूछा कि उन्होंने हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं किया.
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे. फ़ाइल चित्र
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक याचिकाकर्ता को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे पर उत्तर भारतीय समुदाय के खिलाफ अभद्र भाषा और हिंसा भड़काने का आरोप लगाने वाली अपनी याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट में दाखिल करने का निर्देश दिया. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने याचिकाकर्ता सुनील शुक्ला - उत्तर भारतीय विकास सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष - से पूछा कि उन्होंने अपनी शिकायतों के साथ हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं किया. मुख्य न्यायाधीश ने पूछा, "क्या बॉम्बे हाईकोर्ट में छुट्टी है?" जिसके बाद शुक्ला के वकील ने अपनी याचिका वापस ले ली.
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रिपोर्ट के मुताबिक शीर्ष अदालत की पीठ ने मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने और उचित हाईकोर्ट में जाने की अनुमति दे दी. शुक्ला ने आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र सरकार और पुलिस ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के उनके बार-बार अनुरोध पर कार्रवाई नहीं की, और उन पर हिंसा, धमकी और उत्पीड़न का आरोप लगाया.
याचिका में कहा गया है कि उत्तर भारतीयों के अधिकारों की वकालत करने के कारण उन्हें महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और उसके सहयोगी समूहों द्वारा धमकियों, उत्पीड़न और शारीरिक धमकी का निशाना बनाया गया. रिपोर्ट के अनुसार अपनी याचिका में, सुनील शुक्ला ने आरोप लगाया कि 30 मार्च को गुड़ी पड़वा की रैली के दौरान, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने एक भड़काऊ भाषण दिया जिसमें हिंदी बोलने पर उत्तर भारतीयों के खिलाफ हिंसा भड़काने की बात कही गई थी. सार्वजनिक रूप से प्रसारित इस भाषण के कारण कथित तौर पर मुंबई के कई स्थानों, जिनमें पवई और वर्सोवा में डी-मार्ट शामिल हैं, पर हिंदी भाषी कार्यकर्ताओं पर हमले हुए.
शुक्ला ने आगे दावा किया कि भाषण से पहले भी, उन्हें कई धमकियाँ मिली थीं, जिनमें ट्विटर पर एक परेशान करने वाला संदेश भी शामिल था जिसमें खुले तौर पर उनकी हत्या की बात कही गई थी, और 100 से ज़्यादा गुमनाम कॉलों में उनकी जान को खतरा बताया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक 6 अक्टूबर, 2024 को, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना से कथित रूप से जुड़े लगभग 30 व्यक्तियों ने उनके राजनीतिक दल के कार्यालय में तोड़फोड़ करने का प्रयास किया. शुक्ला ने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, पुलिस महानिदेशक, पुलिस आयुक्त और भारत के चुनाव आयोग को कई लिखित शिकायतें सौंपने के बावजूद अब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है.
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