Updated on: 10 March, 2025 09:13 AM IST | mumbai
Aishwarya Iyer
अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, कम से कम छह मरीज ऐसे हैं जो कृत्रिम उपकरणों की कमी के कारण एक महीने से अधिक समय से सर्जरी के लिए प्रतीक्षारत हैं. इनमें से कई मरीज गंभीर दर्द से जूझ रहे हैं.
PICS/NAVNEET BARHATE
उल्हासनगर के सेंट्रल अस्पताल में ऑर्थोपेडिक इम्प्लांट सर्जरी बीते दो महीनों से रुकी हुई है. अस्पताल प्रशासन के अनुसार, महात्मा फुले जन आरोग्य योजना (एमजेपीजेएवाई) के तहत आने वाले मरीजों की सर्जरी आपूर्तिकर्ताओं द्वारा बिलों का भुगतान न किए जाने के कारण टाल दी गई है. इस कारण कई मरीज, विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग, सर्जरी के लिए लंबा इंतजार करने को मजबूर हैं, जिससे उनका दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है.
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मरीजों को करना पड़ रहा लंबा इंतजार
अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, कम से कम छह मरीज ऐसे हैं जो कृत्रिम उपकरणों की कमी के कारण एक महीने से अधिक समय से सर्जरी के लिए प्रतीक्षारत हैं. इनमें से कई मरीज गंभीर दर्द से जूझ रहे हैं और उनके पास निजी अस्पताल में महंगा इलाज कराने का विकल्प भी नहीं है.
एक मरीज, जिसे पैर की रॉड इंसर्शन सर्जरी की जरूरत है, ने बताया, "मैं लगभग डेढ़ महीने से ऑपरेशन के इंतजार में हूं. चलने-फिरने में बहुत तकलीफ हो रही है, लेकिन कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल रहा कि मेरी सर्जरी कब होगी."
ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. उत्कर्ष दुधेड़िया ने पुष्टि करते हुए कहा कि सर्जरी में यह देरी फंड की कमी के कारण हो रही है, लेकिन प्रशासन इसे जल्द सुलझाने की कोशिश कर रहा है.
फंड की कमी बनी रुकावट
अस्पताल से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि आपूर्तिकर्ताओं ने लंबित भुगतान के कारण आवश्यक उपकरणों की आपूर्ति रोक दी है. सर्जरी के लिए जरूरी इम्प्लांट और कृत्रिम उपकरणों की अनुपलब्धता ने न केवल मरीजों की परेशानी बढ़ाई है, बल्कि डॉक्टरों को भी मुश्किल स्थिति में डाल दिया है.
हालांकि, अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि वे इस समस्या का समाधान निकालने के लिए प्रयासरत हैं और जल्द ही सर्जरी फिर से शुरू करने की योजना बना रहे हैं.
महात्मा फुले जन आरोग्य योजना (एमजेपीजेएवाई) क्या है?
महाराष्ट्र सरकार की महात्मा फुले जन आरोग्य योजना (एमजेपीजेएवाई) आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को सरकारी और निजी अस्पतालों के माध्यम से कैशलेस इलाज प्रदान करती है. इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार को हर साल 1.5 लाख रुपये तक का इलाज कवर किया जाता है. इसमें 996 मेडिकल और सर्जिकल प्रक्रियाएँ शामिल हैं, जिनमें आर्थोपेडिक इम्प्लांट सर्जरी भी आती है.
इस योजना का लाभ उठाने के लिए लाभार्थी को महाराष्ट्र का निवासी होना आवश्यक है और उसकी वार्षिक आय 1 लाख रुपये से कम होनी चाहिए. योजना के तहत सर्जरी में लगने वाले उपकरण, दवाइयाँ और प्रत्यारोपण भी प्रदान किए जाते हैं.
अब आगे क्या?
स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल प्रशासन इस संकट का समाधान निकालने की कोशिश में जुटा है. लेकिन जब तक बकाया भुगतान की समस्या हल नहीं होती, मरीजों को अनिश्चितता और दर्द के साथ जीने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. स्वास्थ्य सुविधाओं में ऐसी रुकावटें गरीब मरीजों के लिए बड़ी चुनौती बन रही हैं, जिससे सरकार की मुफ्त इलाज योजना का उद्देश्य अधूरा रह जाता है.
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