Updated on: 19 January, 2025 02:24 PM IST | Mumbai
Ranjeet Jadhav
टीम बाघ को ट्रैक करने का प्रयास कर रही है, क्योंकि उसे कैमरा पर नहीं देखा गया है.
तस्वीर में दिख रहा शावक वही बाघिन है जो टिपेश्वर से सोलापुर आई थी और वयस्क उसकी मां टी22 है.
टिपेश्वर वन्यजीव अभयारण्य से सोलापुर तक की यात्रा करने वाले बाघ को पकड़ने का अभियान शुरू हो गया है. टीम बाघ को पैदल ट्रैक करने का प्रयास कर रही है, क्योंकि एक सप्ताह से अधिक समय से उसे कैमरा ट्रैप पर नहीं देखा गया है और मवेशियों के मारे जाने की कोई हालिया रिपोर्ट नहीं मिली है. अभियान में शामिल वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, "आखिरी बार देखे जाने वाले क्षेत्र में 20 से अधिक कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं. हालांकि, एक सप्ताह से बाघ की कोई तस्वीर नहीं मिली है, जिससे पता चलता है कि वह कहीं और चला गया होगा. रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) और वन कर्मचारी वर्तमान में उसके वर्तमान स्थान का पता लगाने के लिए पैरों के निशान जैसे अप्रत्यक्ष साक्ष्य की तलाश कर रहे हैं."
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अधिकारियों ने पुष्टि की कि बाघ को आखिरी बार धाराशिव (पूर्व में उस्मानाबाद) के येदशी रामलिंग घाट अभयारण्य में देखा गया था और उन्होंने आसपास के क्षेत्र में मवेशियों के मारे जाने की कोई हालिया घटना नहीं देखी. विभाग ने डॉ. खोबरागड़े को शामिल किया है, जिन्हें वन्यजीव बचाव और संघर्ष प्रबंधन में व्यापक अनुभव है. उन्होंने बाघों, तेंदुओं, भालू और हाथियों से जुड़े ऑपरेशनों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है, खास तौर पर महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र और पड़ोसी राज्यों में.
डॉ. खोबरागड़े ने कहा, "हमारे आरआरटी ने स्थानीय वन कर्मचारियों के साथ मिलकर बाघ को सुरक्षित तरीके से पकड़ने के प्रयास शुरू कर दिए हैं. हम इसकी नवीनतम स्थिति का पता लगाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और एक बार जब हमें सटीक जानकारी मिल जाएगी, तो हम जानवर को डार्ट करके दूसरी जगह ले जाने की रणनीति तैयार करेंगे."
ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व के आरआरटी में अजय सी. मराठे (पुलिस कांस्टेबल और शूटर), विकास ताजने, योगेश लकड़े, प्रफुल वाडघुरे, गुनानक धोरे, दीपेश तुम्हारे, वसीम शेख और ड्राइवर अमोल कोरपे के साथ अक्षय दांडेकर जैसे सदस्य शामिल हैं. युवा नर बाघ, जिसके बारे में माना जा रहा है कि वह लगभग 500 किलोमीटर की यात्रा करके यहां पहुंचा है.
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