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पति से झगड़े के चलते बच्चा गिराना चाहती थी महिला, बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा- `सुलह करो`

Updated on: 29 January, 2025 03:02 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और प्रवीण पाटिल की खंडपीठ ने कहा कि दंपत्ति के बीच विवाद बड़ा नहीं है और सोमवार को पारित आदेश में इसे सौहार्दपूर्ण ढंग से हल किया जा सकता है.

फ़ाइल चित्र

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बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक दंपत्ति से कहा है कि वैवाहिक समस्याओं के कारण 20 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की मांग करने वाली महिला द्वारा दायर याचिका पर निर्णय लेने से पहले वे अपने विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने का प्रयास करें. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और प्रवीण पाटिल की खंडपीठ ने कहा कि दंपत्ति के बीच विवाद बड़ा नहीं है और सोमवार को पारित आदेश में इसे सौहार्दपूर्ण ढंग से हल किया जा सकता है.

रिपोर्ट के मुताबिक अदालत ने दंपत्ति को इस सप्ताह तीन दिनों के लिए पुणे मजिस्ट्रेट अदालत परिसर में मिलने और अपने मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करने का निर्देश दिया. न्यायाधीशों ने कहा कि दोनों पक्षों के वकीलों को उन्हें सुलह करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि "यह ध्यान में रखते हुए एक सौहार्दपूर्ण माहौल बनाया जा सके कि अगर बच्चा पैदा होता है, तो यह उनका पहला बच्चा होगा."


अदालत ने कहा कि यदि आवश्यक हो, तो बच्चे की खातिर दंपत्ति को एक-दूसरे पर भरोसा करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए प्रशिक्षित मध्यस्थ की सेवाओं का उपयोग किया जाएगा. रिपोर्ट के अनुसार याचिका में कहा गया है कि पति ने उसे ताना मारा कि वह उससे कभी शादी नहीं करना चाहता क्योंकि वह किसी दूसरी महिला से प्यार करता है. महिला ने आरोप लगाया कि उसने यह भी दावा किया कि जो बच्चा पैदा होगा वह उसका नहीं है और वह बच्चे को स्वीकार नहीं करेगा. मई 2023 में दोनों ने शादी कर ली. इसके बाद, महिला ने पुणे में मजिस्ट्रेट की अदालत में घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराई.


उच्च न्यायालय में दायर अपने जवाबी हलफनामे में, व्यक्ति ने याचिका में लगाए गए आरोपों से इनकार किया. रिपोर्ट के मुताबिक  दंपति के बीच विवाद था, लेकिन उसने कभी भी बच्चे के पितृत्व को स्वीकार करने से इनकार नहीं किया, न ही उसने उसके चरित्र पर सवाल उठाया, उसने कहा कि वह बच्चे और महिला की देखभाल करने के लिए तैयार है. उसने दावा किया कि पति और उसके माता-पिता ने कई बार विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने की कोशिश की, लेकिन उसकी पत्नी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. न्यायाधीशों ने सोमवार को पुरुष और महिला से बातचीत की और कहा कि दोनों में एक-दूसरे को समझने और अपनी समस्याओं को हल करने के लिए पर्याप्त परिपक्वता है.

हाईकोर्ट ने आदेश में कहा, "पत्नी ने कहा है कि अगर उसका पति बच्चे की अच्छी देखभाल करने और उसके साथ उचित व्यवहार करने को तैयार है, तो उसे गर्भपात कराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि अगर बच्चा पैदा होता है, तो यह उनका पहला बच्चा होगा." न्यायाधीशों ने कहा कि गलतफहमी और आरोपों को छोड़कर, जैसे कि महिला अपने माता-पिता के साथ बहुत लंबे समय तक रहती है या पति हमेशा अपने माता-पिता का पक्ष लेता है, दंपति के बीच कोई बड़ी समस्या नहीं है. मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी.


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