आमतौर पर किसी भी क्रिकेट जीत के बाद मरीन ड्राइव पर भीड़ उमड़ आती है. तिरंगे लहराते युवाओं के नारे, ढोल-नगाड़े और जश्न की लहर यहां की पहचान रही है. (Pics: Atul Kamble, Ashish Raje)
लेकिन रविवार रात का नजारा बिल्कुल अलग था. सागर किनारे सन्नाटा पसरा था, सड़कों पर गाड़ियों की आवाजाही सामान्य थी और न तो किसी ने पटाखे फोड़े, न ही टीम इंडिया की जीत का जश्न मनाने कोई बड़ी भीड़ जुटी.
स्थानीय लोगों के मुताबिक, ज्यादातर लोग टीवी या मोबाइल पर मैच देखने के बाद अपने-अपने घरों में जश्न मना रहे थे.
मरीन ड्राइव के कुछ हिस्सों पर कुछ युवाओं ने झंडे लहराए, लेकिन सामूहिक उत्सव का माहौल नहीं बन पाया.
सुरक्षा कारणों से भी पुलिस ने इलाके में गश्त बढ़ा दी थी ताकि किसी तरह की भीड़भाड़ या अव्यवस्था न हो.
मरीन ड्राइव के एक कैफे मालिक ने बताया, `हमने उम्मीद की थी कि रात तक लोग जश्न मनाने आएंगे, लेकिन माहौल बिल्कुल शांत रहा. शायद लोग दीप्ति शर्मा और टीम इंडिया की जीत को अपने दिल में महसूस कर रहे थे.`
हालांकि, सोशल मीडिया पर मुंबईकरों ने अपनी भावनाएं जरूर जाहिर कीं. इंस्टाग्राम और एक्स (ट्विटर) पर `#WomenInBlue`, `#ICCWWC2025` और `#IndiaChamps` जैसे हैशटैग रातभर ट्रेंड करते रहे.
भारत की यह जीत देश के खेल इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ गई है.
लेकिन मुंबई के प्रतीक बन चुके मरीन ड्राइव की यह खामोशी इस बात की याद दिलाती है कि जश्न हमेशा शोर में नहीं, कभी-कभी गर्व की गहराई में भी मनाया जाता है.
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