त्रिपुरारी पूर्णिमा भगवान शिव की महिमा को समर्पित पर्व है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने तीन राक्षस नगरों — त्रिपुरा — का विनाश किया था और ब्रह्मांड को अत्याचार से मुक्त कराया था. (Pics: ASHISH RAJE)
इसलिए इसे `त्रिपुरारी पूर्णिमा` कहा जाता है. यह त्योहार हिंदू पंचांग के कार्तिक महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है और इसे दान, ध्यान और भक्ति का अत्यंत शुभ दिन माना जाता है.
बाणगंगा तालाब, जो Walkeshwar मंदिर परिसर में स्थित है, इस अवसर पर भक्तों से खचाखच भर गया.
तालाब के चारों ओर दीपों की पंक्तियाँ सजीं, फूलों और सजावट से मंदिर प्रांगण सुशोभित हुआ.
भक्तों ने भगवान शिव की आराधना करते हुए उपवास रखा और शिव मंत्रों का जाप किया. आरती के दौरान पूरा वातावरण “ॐ नमः शिवाय” के मंत्रों से गूंज उठा.
त्रिपुरारी पूर्णिमा के अवसर पर भक्त जलाशयों के किनारे दीप जलाते हैं, क्योंकि यह मान्यता है कि दीपदान से न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है बल्कि यह जीवन में अंधकार को मिटाकर नई ऊर्जा का संचार करता है.
कई श्रद्धालुओं ने बाणगंगा के पवित्र जल में स्नान कर पूजा-अर्चना की और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की.
मुंबई में हर साल इस दिन बाणगंगा तालाब एक छोटे काशी के रूप में बदल जाता है.
इस साल भी यहां की रोशनी, श्रद्धा और संगीत ने सभी को आध्यात्मिकता की अनुभूति कराई.
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