राहुल गांधी ने इसे महाराष्ट्र की जनता की आकांक्षाओं और कॉरपोरेट प्रभाव के बीच की लड़ाई के रूप में पेश किया.
उन्होंने विशेष रूप से उद्योगपति गौतम अडानी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि मुंबई की जमीन और संसाधनों पर नियंत्रण करने की कोशिश की जा रही है. राहुल ने दावा किया कि एक लाख करोड़ रुपये अडानी को दिए जा सकते हैं, जो कि किसानों, श्रमिकों और बेरोजगारों के हक को नुकसान पहुंचाएगा.
उन्होंने इसे "अरबपतियों बनाम गरीबों" की लड़ाई बताते हुए कहा, "हमारी सोच यह है कि महाराष्ट्र के किसानों, बेरोजगारों और गरीबों को मदद मिले, जबकि अरबपति मुंबई की जमीन अपने हाथों में लेना चाहते हैं."
कांग्रेस ने अपने प्रमुख चुनावी वादों को जनता के सामने रखा. इनमें महिलाओं के लिए आर्थिक मदद और मुफ्त बस यात्रा जैसी योजनाओं की घोषणा की गई. राहुल ने कहा, "हर महीने हर महिला को 3,000 रुपये दिए जाएंगे और उनके लिए मुफ्त बस यात्रा की व्यवस्था होगी."
किसानों के लिए उन्होंने 3 लाख रुपये तक का कर्ज माफ करने, सोयाबीन के लिए 7,000 रुपये प्रति क्विंटल की न्यूनतम समर्थन मूल्य और प्याज के लिए मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने की बात कही. बेरोजगारी को लेकर भी कांग्रेस ने बड़ी घोषणाएं कीं. राहुल ने बेरोजगार युवाओं को 4,000 रुपये प्रति माह भत्ता देने का वादा किया और कहा कि उनकी सरकार बनने पर 2.5 लाख खाली सरकारी पदों को तुरंत भरा जाएगा.
उन्होंने यह भी कहा कि रोजगार और महंगाई इस चुनाव के मुख्य मुद्दे हैं, और कांग्रेस इन्हीं पर केंद्रित है.इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल ने भाजपा पर सत्ता का दुरुपयोग करने और आम जनता की उपेक्षा करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की नीतियां गरीबों, किसानों, महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाने के लिए हैं, जो महाराष्ट्र के विकास का असली आधार हैं.
राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनाव को विचारधाराओं की लड़ाई बताया, जिसमें गरीबों और वंचितों के हक की बात प्रमुख है. उनके वादे और आरोप चुनावों में जनता को कितना प्रभावित करेंगे, यह देखना दिलचस्प होगा.
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