सुबह आठ बजे जैसे ही श्रद्धालु चौपाटी पर पहुंचे, उसी समय समुद्र में तेज ज्वार शुरू हो गया. सुरक्षा कारणों से विसर्जन को रोकना पड़ा. (PICS/SHADAB KHAN)
इसी बीच, मूर्ति को आगे ले जाने वाली ट्रॉली रेत में फंस गई और भारी बारिश ने स्थिति और बिगाड़ दी. कई घंटे तक मूर्ति और ट्रॉली पानी में फंसी रही. मंडल कार्यकर्ता लगातार बप्पा की सुरक्षा के लिए मौजूद रहे और मूर्ति को पानी में सहारा देते रहे.
इस मुश्किल घड़ी में मुंबई पुलिस और कोली समाज के सदस्य आगे आए. पुलिस ने न केवल भीड़ को नियंत्रित रखा बल्कि ट्रॉली निकालने में मंडल की पूरी मदद की. वहीं, कोली समुदाय ने समुद्र और रेत के बीच खड़ी मूर्ति की सुरक्षा में मंडल का साथ दिया.
कई घंटों की मशक्कत के बाद आखिरकार दोपहर बाद ट्रॉली को निकाला जा सका. मंडल अध्यक्ष सुधीर साल्वी ने बताया कि इतनी बड़ी भीड़ और खराब मौसम के बीच विसर्जन करना आसान नहीं था.
सभी लोग लगातार कोशिश कर रहे थे कि बप्पा का विसर्जन सुरक्षित और सम्मानजनक तरीके से पूरा हो. उन्होंने कहा कि रात 10.30 बजे के बाद ही विसर्जन संभव हो पाया क्योंकि हजारों भक्त अंतिम विदाई देने के लिए चौपाटी पर डटे रहे.
लालबागचा राजा मंडल ने इस अप्रत्याशित देरी के लिए भक्तों से क्षमा मांगी और मुंबई पुलिस सहित कोली समुदाय का आभार व्यक्त किया.
अंततः रात 9.15 बजे लालबागचा राजा का विसर्जन हुआ. भक्तों ने ‘गणपती बप्पा मोरया’ के जयकारों के बीच बप्पा को विदाई दी.
इस बार का विसर्जन मुंबईकरों के लिए बेहद खास और यादगार रहा. बारिश, ज्वार और रेत में फंसी ट्रॉली की चुनौती ने भक्तों की आस्था और प्रशासन की मेहनत दोनों की परीक्षा ली, लेकिन सभी के सहयोग से बप्पा की विदाई सफलतापूर्वक पूरी हो सकी.
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