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अनशन खत्म करने के साथ बच्चू कडू ने दिया अल्टीमेटम, 2 अक्टूबर तक मांगे नहीं मानीं तो मंत्रालय में करेंगे प्रदर्शन

Updated on: 14 June, 2025 05:15 PM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar | ujwala.dharpawar@mid-day.com

प्रहार जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने किसानों की कर्जमाफी, न्यूनतम समर्थन मूल्य, और अन्य 17 मांगों को लेकर अमरावती में अन्न त्याग उपवास शुरू किया था.

X/Pics, Bacchu Kadu

X/Pics, Bacchu Kadu

अमरावती में प्रहार जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने राज्य में किसानों की कर्जमाफी की मांग को लेकर अन्न त्याग उपवास शुरू किया था. यह उपवास बच्चू कडू के लिए केवल कर्जमाफी तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें किसानों के लिए गारंटीड मूल्य, फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य, और 17 अन्य महत्वपूर्ण मांगें भी शामिल थीं. बच्चू कडू ने यह आंदोलन सरकार पर दबाव बनाने के लिए शुरू किया था, ताकि राज्य के किसानों को आर्थिक रूप से राहत मिल सके और उनके अधिकारों की रक्षा की जा सके.

आज बच्चू कडू के उपवास का सातवां दिन था और इस दिन उनके संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया. शिवसेना नेता और महायुति सरकार के मंत्री उदय सामंत ने बच्चू कडू से मुलाकात की और सरकार की ओर से उन्हें एक पत्र सौंपा. इस पत्र में सरकार ने यह आश्वासन दिया कि कर्जमाफी के मामले में अगले 15 दिनों में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा, जो इस मुद्दे पर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी.


 



 

बच्चू कडू ने इस आश्वासन के बाद अपना उपवास समाप्त करने का निर्णय लिया. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका आंदोलन जारी रहेगा और सरकार की ओर से मिले इस पत्र को सिर्फ एक शुरुआती कदम माना जाएगा. बच्चू कडू ने कहा कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की जातीं, तो वह 2 अक्टूबर तक सरकार को समय देते हुए मंत्रालय में प्रवेश करेंगे और विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे.

 

 

इस दौरान, बच्चू कडू ने अपनी 17 मांगों को लेकर सरकार पर कड़ा दबाव बनाया था. इनमें प्रमुख मांगें किसानों की कर्जमाफी, उनकी फसलों के लिए गारंटीड मूल्य, और राज्य में कृषि संकट से निपटने के लिए ठोस उपायों की थीं. इसके अलावा, उन्होंने किसानों के लिए सस्ती ब्याज दरों पर ऋण की व्यवस्था और कर्ज के जाल से निकलने के लिए सरकार से सुधार की भी मांग की थी.

बच्चू कडू ने अपनी मांगों को लेकर यह आंदोलन तब तक जारी रखने का संकेत दिया जब तक सरकार इन मुद्दों पर ठोस निर्णय नहीं लेती. सरकार की ओर से मिली उम्मीद की किरण के बाद उन्होंने उपवास तो समाप्त किया, लेकिन उनका संघर्ष अब भी जारी रहेगा. उनका यह कहना था कि आंदोलन का उद्देश्य किसानों की भलाई के लिए है और वह तब तक नहीं रुकेंगे जब तक सरकार उनकी सभी मांगों को पूरा नहीं करती.

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