Updated on: 29 October, 2024 09:26 PM IST | Mumbai
Prasun Choudhari
16 दिनों के अंतराल में बम की धमकियों की लहर में 510 से अधिक घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को धमकियां मिली हैं जो बाद में झूठी साबित हुईं.
प्रतीकात्मक चित्र/फ़ाइल
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मंगलवार को भारतीय एयरलाइन्स को लगातार बम की धमकियां मिल रही हैं, जिसके कारण एयर इंडिया, विस्तारा और इंडिगो सहित 100 से अधिक उड़ानों को धमकियां मिली हैं. 16 दिनों के अंतराल में, भारतीय एयरलाइन्स को बम की धमकियों की लहर में 510 से अधिक घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को धमकियां मिली हैं, जिनमें से अधिकतर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से मिली हैं, जो बाद में झूठी साबित हुईं.
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सूत्रों के अनुसार, एयर इंडिया को लगभग 36 उड़ानों के लिए धमकियां मिलीं, विस्तारा को 35 धमकियां मिलीं और इंडिगो एयरलाइन्स को 32 उड़ानों के लिए धमकियां मिलीं. 28 अक्टूबर को विभिन्न भारतीय एयरलाइन्स को भी बम की धमकियां मिलीं, जिसके बाद कई हवाई अड्डों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई. सूत्रों ने बताया कि सोमवार को लगभग 60 भारतीय एयरलाइन्स को बम की धमकियां मिलीं. इनमें इंडिगो को 21, एयर इंडिया को 20 और विस्तारा को 20 शामिल हैं.
इस बीच, पिछले 15 दिनों में भारतीय एयरलाइन्स को मिली बम की धमकियों की श्रृंखला की जांच के लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) को शामिल किया गया है. पिछले 15 दिनों में भारतीय एयरलाइन्स को 463 बम धमकियाँ मिली हैं, जिससे कई उड़ानों के शेड्यूल में बड़ी बाधा उत्पन्न हुई है. सोमवार को 61 नए बम धमकियाँ मिली हैं.
कई एयरलाइन्स को दी गई धमकियों ने व्यापक चिंता पैदा कर दी है और देश के हवाई अड्डों पर सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए गए हैं. एयरलाइन्स को मिल रही फर्जी बम धमकियों में वृद्धि के बीच, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने एक मीडिया संबोधन में कहा कि सरकार उन अपराधियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए कदम उठा रही है जो बम धमकियों का सहारा लेते हैं. उन्होंने कहा, "हम अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों, कानून प्रवर्तन शाखाओं और आईबी की सहायता लेंगे."
मंत्री ने कहा कि केंद्र दो नागरिक उड्डयन कानूनों में संशोधन पर भी विचार कर रहा है. आईबी के एक सूत्र ने इस घटनाक्रम की पुष्टि की और यह भी खुलासा किया, "हम पहले दिन से ही बम धमकियों पर नज़र रख रहे थे. हमें केवल एक ही समस्या का सामना करना पड़ रहा है, वह है वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) और डार्क वेब का उपयोग, जिससे अपराधियों का पता नहीं चल पा रहा है."
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