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दिल्ली HC के जज यशवंत वर्मा की वीडियो ने खोली पोल? सुप्रीम कोर्ट ने की घर से कैश मिलने की पुष्टि

Updated on: 24 March, 2025 05:14 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए, शीर्ष अदालत ने देवेंद्र कुमार उपाध्याय की रिपोर्ट अपलोड की, जिसमें हाईकोर्ट के जज वर्मा के आवास से नकदी मिलने के संबंध में वीडियो भी शामिल हैं.

आग की घटना के बाद जारी किए गए वीडियो में जस्टिस वर्मा के घर पर जली हुई नकदी का ढेर दिख रहा है. तस्वीर/पीटीआई

आग की घटना के बाद जारी किए गए वीडियो में जस्टिस वर्मा के घर पर जली हुई नकदी का ढेर दिख रहा है. तस्वीर/पीटीआई

जज यशवंत वर्मा के आवास पर नकदी की जली हुई गड्डियों का पुलिस आयुक्त द्वारा साझा किया गया वीडियो और दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा “गहन जांच” के लिए कहे गए प्रारंभिक निष्कर्षों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना को न्यायाधीश के खिलाफ आरोपों की आंतरिक जांच करने के लिए एक समिति गठित करने के लिए प्रेरित किया है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए, शीर्ष अदालत ने शनिवार देर शाम अपनी वेबसाइट पर दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय की जांच रिपोर्ट अपलोड की, जिसमें हाईकोर्ट के जज वर्मा के आवास से कथित रूप से बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के संबंध में तस्वीरें और वीडियो भी शामिल हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक न्यायमूर्ति उपाध्याय की 25 पन्नों की जांच रिपोर्ट, जिसे शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है, में हिंदी में दो संक्षिप्त नोट हैं, जिनमें उल्लेख किया गया है कि 14 मार्च को न्यायमूर्ति वर्मा के आवास के स्टोर रूम में लगी आग को बुझाने के बाद, करेंसी नोटों से भरी चार से पांच अधजली बोरियां मिलीं. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि शॉर्ट-सर्किट के कारण आग लगी थी. दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने न्यायमूर्ति उपाध्याय के साथ जो वीडियो साझा किया है, उसमें साफ तौर पर जली हुई नकदी और आग बुझाते अग्निशमन कर्मी दिखाई दे रहे हैं.


 
 
 
 
 
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सीजेआई द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति में न्यायमूर्ति शील नागू (पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश), जी एस संधावालिया (हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश) और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल हैं. रिपोर्ट के अनुसार शीर्ष अदालत ने शनिवार को एक बयान में कहा, "फिलहाल दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपने के लिए कहा गया है." हालांकि, समिति द्वारा जांच पूरी करने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की गई है.


न्यायमूर्ति वर्मा ने अपने जवाब में मुद्रा-खोज विवाद में आरोपों की कड़ी निंदा की है और कहा है कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा स्टोररूम में कभी भी कोई नकदी नहीं रखी गई. दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को सौंपे गए अपने जवाब में न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा है कि उनके आवास से नकदी मिलने का आरोप स्पष्ट रूप से उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश प्रतीत होती है. रिपोर्ट के मुताबिक जज वर्मा ने कहा, "उच्च न्यायालय के गेस्टहाउस में हमारी मुलाकात के दौरान मुझे सबसे पहले वीडियो और अन्य तस्वीरें दिखाई गईं, जिन्हें पुलिस आयुक्त ने आपके साथ साझा किया था. मैं वीडियो की सामग्री देखकर पूरी तरह से हैरान रह गया, क्योंकि इसमें कुछ ऐसा दिखाया गया था जो मौके पर नहीं मिला था, जैसा कि मैंने देखा था." न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा, "इसी वजह से मुझे यह देखने को मिला कि यह स्पष्ट रूप से मुझे फंसाने और बदनाम करने की साजिश प्रतीत होती है." उन्होंने कहा, "न तो मुझे और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को नकदी के बारे में कोई जानकारी थी और न ही इसका मुझसे या मेरे परिवार से कोई संबंध है."

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