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अरविंद केजरीवाल पर चलना चाहिए केस, कोर्ट ने लिया संज्ञान, पहली नज़र दिल्ली के सीएम ही दोषी

Updated on: 19 February, 2024 02:03 PM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को छठी बार ईडी (प्रवर्तन निदेशालय)के नोटिस पर जांच एजेंसियों के सामने पेश किया है. जांच एजेंसियों की तरफ से जो शिकायतें की गई उस पर आम आदमी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने संज्ञान लिया है.

अरविंद केजरीवाल (फ़ाइल फोटो)

अरविंद केजरीवाल (फ़ाइल फोटो)

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को छठी बार ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के नोटिस पर जांच एजेंसियों के सामने पेश किया है. जांच एजेंसियों की तरफ से जो शिकायतें की गई उस पर आम आदमी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने संज्ञान लिया है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इसे भारतीय दंड संहिता की धारा 174 का उल्लंघन पर की गई शिकायत पर यह संज्ञान लिया गया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अदालत ने इस मामले को पहली नजर में केजरीवाल का अपराध बताया है और कहा है कि उन पर केस चलना चाहिए. रिपोर्ट्स के मुताबिक यह सवाल नहीं है कि समन वैध या नहीं बल्कि सवाल यह है  कि केजरीवाल ने जानबूझ कर कानूनी आदेश का पालन नहीं किया है.


आम आदमी से जुड़े सूत्रों की ओर से कहा गया है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर जांच कर रही है. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि सीएम ईडी के सामने पेश नहीं होंगे. ईडी के बार बार समन भेजने को आप पार्टी ने अवैध बताया और कहा कि कोर्ट के फैसले का इंतज़ार है.


सूत्रों ने कहा कि ईडी खुद ही अदालत गई और अब समन भेजने के बजाय ईडी को कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए.

ईडी ने कोर्ट को की ये शिकायतें-


शराब उत्पाद मामले को लेकर अरविंद केजरीवाल के पास जो समन भेजे जा रहे थे, उसमें न पहुंचने पर ईडी ने कोर्ट में शिकायत की है. प्रवर्तन निदेशालय ने कहा-
केजरीवाल जानबूझकर समन पर नहीं आए.
ईडी ने शिकायत में कहा कि अगर ऊंचे पदों पर बैठे लोग भी अगर कानून को नहीं मानेंगे तो सामान्य लोगों पर क्या असर पड़ेगा.
ईडी ने याचिका में दावा किया है कि शराब नीति में आम आदमी पार्टी और उनके नेताओं को कथित तौर पर फायदा पहुंचाने के लिए आपराधिक षड्यंत्र रचा गया.
ईडी ने याचिका में लिखा कि साल 2021-22 में दिल्ली में आबकारी नीति के तहत बेहद गुप्त तरीके से लाभार्थियों की मिली भगत से अवैध आर्थिक लाभ के बदले उपहार दिए जाने की बात कही गई थी.

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