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`वन नेशन वन इलेक्शन` प्रस्ताव पर जयंत पाटील की आलोचना, संविधान बदलने की साजिश का आरोप

Updated on: 19 September, 2024 02:46 PM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar | ujwala.dharpawar@mid-day.com

उन्होंने इस कदम को संविधान को बदलने की मंशा से प्रेरित बताते हुए कहा कि बीजेपी को इसी कारण लोकसभा चुनाव में जनता का समर्थन नहीं मिला.

पाटील के बयान से स्पष्ट है कि विपक्षी दल इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध करेंगे और इसे संविधान के मौलिक ढांचे के खिलाफ मानते हैं.

पाटील के बयान से स्पष्ट है कि विपक्षी दल इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध करेंगे और इसे संविधान के मौलिक ढांचे के खिलाफ मानते हैं.

One Nation One Election: केंद्रीय कैबिनेट ने 18 सितंबर 2024 को ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिसे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने प्रस्तुत किया है. इसे शीतकालीन सत्र में संसद से पास कराकर कानून बनाने की योजना है, जिसके बाद देश में एक साथ चुनाव कराने का रास्ता साफ हो जाएगा. इस फैसले के बाद राजनीतिक दलों और नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आ रही है. एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेता जयंत पाटील ने इस प्रस्ताव की आलोचना की है. जयंत पाटील ने कहा कि `वन नेशन वन इलेक्शन` का प्रस्ताव देश की संघीय व्यवस्था के खिलाफ है और बीजेपी की मंशा अमेरिका की तरह राष्ट्रपति प्रणाली लाने की है. उन्होंने कहा कि यह बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा स्थापित लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करने का पहला कदम है. उन्होंने इस कदम को संविधान को बदलने की मंशा से प्रेरित बताते हुए कहा कि बीजेपी को इसी कारण लोकसभा चुनाव में जनता का समर्थन नहीं मिला.

पाटील ने कहा कि बीजेपी की योजना संविधान में बदलाव लाने की है, जो भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा है. उन्होंने इस बात पर भी सवाल उठाया कि बीजेपी स्थानीय स्वशासन निकाय चुनावों से बच रही है और एक देश एक चुनाव की बात कर रही है. पाटील के अनुसार, नगर पालिका, नगर निगम और अन्य स्थानीय निकायों के चुनावों से बचते हुए, इस तरह के बड़े कदम उठाना विरोधाभासी है. उन्होंने यह भी कहा कि जब देश में लोकसभा चुनाव सात चरणों में कराए गए थे, तब इतनी जटिलता थी, तो ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ जैसी योजना को कैसे लागू किया जा सकता है? पाटील ने इस योजना की व्यावहारिकता और इसके प्रभाव पर भी सवाल उठाए.


जयंत पाटील के अनुसार, ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ का प्रस्ताव राजनीतिक रूप से प्रेरित है और इसका उद्देश्य केवल सत्ता में बने रहना है. उनका मानना है कि भारत जैसे विविधता से भरे देश में, जहां संघीय ढांचा और राज्यों के अधिकार महत्वपूर्ण हैं, इस तरह की योजना लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है.


पाटील के बयान से स्पष्ट है कि विपक्षी दल इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध करेंगे और इसे संविधान के मौलिक ढांचे के खिलाफ मानते हैं. ऐसे में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर देशभर में बहस तेज हो गई है और आगामी संसद सत्र में इस पर गरमागरम चर्चा की संभावना है. बीजेपी की इस योजना को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, और देखना होगा कि यह संसद में किस रूप में पारित होती है और इसका देश की चुनावी प्रक्रिया पर क्या प्रभाव पड़ता है.


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