Updated on: 26 March, 2025 03:59 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
नागपुर निवासी कोरटकर को 26 फरवरी को उनके खिलाफ दर्ज एक मामले के बाद सोमवार को तेलंगाना में गिरफ्तार किया गया था.
प्रतीकात्मक छवि. फ़ाइल चित्र
महाराष्ट्र के कोल्हापुर की एक अदालत ने मंगलवार को छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके बेटे छत्रपति संभाजी के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में पत्रकार प्रशांत कोरटकर को 28 मार्च तक पुलिस हिरासत में भेज दिया. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार नागपुर निवासी कोरटकर को 26 फरवरी को उनके खिलाफ दर्ज एक मामले के बाद सोमवार को तेलंगाना में गिरफ्तार किया गया था. यह मामला उनके और कोल्हापुर के इतिहासकार इंद्रजीत सावंत के बीच एक ऑडियो बातचीत से उपजा है.
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रिपोर्ट के मुताबिक समूहों के बीच कथित तौर पर नफरत या दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. सावंत द्वारा सोशल मीडिया पर ऑडियो रिकॉर्डिंग साझा करने के बाद विवाद शुरू हो गया, जिससे व्यापक आक्रोश फैल गया. इससे पहले, 18 मार्च को कोल्हापुर में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डी वी कश्यप ने कोरटकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी.
कोरटकर ने याचिका में दावा किया था कि उनके फोन से छेड़छाड़ की गई थी और ऑडियो से छेड़छाड़ की गई थी. रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी जारी की है. मंगलवार को सत्र न्यायालय ने कोरटकर को 28 मार्च तक पुलिस हिरासत में भेज दिया. जब कोरटकर को कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच न्यायालय में पेश किया जा रहा था, तो छत्रपति शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज के अनुयायियों ने उनके खिलाफ नारे लगाए.
सावंत के वकील असीम सरोदे ने न्यायालय को बताया कि कोरटकर पिछले एक महीने से फरार है और उसने अपना मोबाइल फोन फॉर्मेट कर लिया है. सावंत ने कहा, "पुलिस को उसकी हिरासत की जरूरत है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसने अपने फोन का डेटा फॉर्मेट क्यों किया. साथ ही, पुलिस को उसकी आवाज के नमूने भी लेने हैं. चूंकि आरोपी एक महीने से फरार है, इसलिए यह जांचना अभी बाकी है कि इतने दिनों तक उसे उनके साथ रहने में किसने मदद की." रिपोर्ट के मुताबिक कोरटकर के वकील सौरभ घाग ने कहा, "पूरा मामला मीडिया ट्रायल के जरिए चलाया जा रहा है. आरोपी ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है. पुलिस के पास 25 फरवरी से सभी कॉल डिटेल हैं, इसलिए उसे आगे पुलिस हिरासत में रखने की जरूरत नहीं है." दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने कोरटकर को पुलिस हिरासत में भेज दिया.
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