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भारत में HMPV को लेकर कोई चिंता नहीं, स्वास्थ्य अधिकारियों ने किया आश्वस्त

Updated on: 07 January, 2025 03:32 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

बैठक के दौरान, उन्होंने आश्वस्त किया कि एचएमपीवी चिंता का कोई कारण नहीं है, जो 2001 से वैश्विक स्तर पर मौजूद है.

तस्वीर/एएफपी

तस्वीर/एएफपी

देश में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के मामलों को लेकर बढ़ती चिंता के बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने देश में श्वसन संबंधी बीमारियों की वर्तमान स्थिति और इसके प्रबंधन के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की स्थिति की समीक्षा की. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार बैठक के दौरान, उन्होंने आश्वस्त किया कि एचएमपीवी से जनता के लिए चिंता का कोई कारण नहीं है, जो 2001 से वैश्विक स्तर पर मौजूद है.

रिपोर्ट के मुताबिक स्वास्थ्य सचिव श्रीवास्तव ने राज्य सरकारों को निवारक उपायों के बारे में जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने की भी सलाह दी. राज्यों को आईएलआई/एसएआरआई निगरानी को मजबूत करने और उसकी समीक्षा करने की भी सलाह दी गई है. भारत में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के पांच मामले सामने आए हैं, जिनमें से दो बेंगलुरु में, एक अहमदाबाद में और दो संदिग्ध मामले नागपुर में पाए गए.


स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार, "केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कल वर्चुअल मोड में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें भारत में श्वसन संबंधी बीमारियों की वर्तमान स्थिति और चीन में एचएमपीवी मामलों में वृद्धि की मीडिया रिपोर्टों के बाद एचएमपीवी मामलों की स्थिति और उनके प्रबंधन के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की समीक्षा की गई." रिपोर्ट के अनुसार बैठक में डॉ. राजीव बहल, सचिव (डीएचआर); डॉ. (प्रो.) अतुल गोयल, डीजीएचएस; राज्यों के स्वास्थ्य सचिव और अधिकारी, एनसीडीसी, आईडीएसपी, आईसीएमआर, एनआईवी और आईडीएसपी की राज्य निगरानी इकाइयों के विशेषज्ञ शामिल हुए. 


विज्ञप्ति में कहा गया है, "बैठक के दौरान, यह दोहराया गया कि आईडीएसपी के डेटा देश में कहीं भी आईएलआई/एसएआरआई मामलों में किसी भी असामान्य वृद्धि का संकेत नहीं देते हैं. आईसीएमआर प्रहरी निगरानी डेटा से भी इसकी पुष्टि होती है." रिपोर्ट के मुताबिक मानव मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) कई श्वसन वायरस में से एक है जो सभी उम्र के लोगों में विशेष रूप से सर्दियों और शुरुआती वसंत के महीनों के दौरान संक्रमण का कारण बन सकता है. वायरस का संक्रमण आमतौर पर हल्का और आत्म-सीमित स्थिति होता है और अधिकांश मामले अपने आप ठीक हो जाते हैं.

राज्यों को वायरस के संचरण की रोकथाम के बारे में लोगों के बीच आईईसी और जागरूकता बढ़ाने की सलाह दी गई, जैसे कि साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोना; बिना धुले हाथों से अपनी आँखें, नाक या मुँह को छूने से बचना; ऐसे लोगों के साथ निकट संपर्क से बचना जिनमें बीमारी के लक्षण दिख रहे हों; खांसते और छींकते समय मुंह और नाक को ढकें.


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