Updated on: 29 January, 2025 02:15 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
डॉ. बहल ने कहा कि एनआईवी पुणे लैब में संक्रमित लोगों के मल और रक्त के नमूनों की जांच की जा रही है, लेकिन अभी तक इसके फैलने के पीछे के कारण का कोई ठोस सुराग नहीं मिल पाया है.
प्रतीकात्मक छवि
महाराष्ट्र में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के 100 से अधिक मामले सामने आने के बाद भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा कि इन मामलों की जांच की जा रही है, क्योंकि विशेषज्ञों की एक टीम ने विभिन्न नमूने एकत्र किए हैं. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार डॉ. बहल ने कहा कि एनआईवी पुणे लैब में संक्रमित लोगों के मल और रक्त के नमूनों की जांच की जा रही है, लेकिन अभी तक इसके फैलने के पीछे के कारण का कोई ठोस सुराग नहीं मिल पाया है. उन्होंने कहा कि जीबीएस का कारण या लिंक केवल 40 प्रतिशत मामलों में ही पाया जाता है. पुणे में 21 जीबीएस रोगियों से एकत्र किए गए चार मल के नमूनों में कैम्पिलोबैक्टर जेजुनम बैक्टीरिया पाया गया, जिनकी जांच राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), पुणे द्वारा की गई, जबकि कुछ में नोरोवायरस पाया गया.
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रिपोर्ट के मुताबिक आईसीएमआर महानिदेशक ने कहा, "हमें कुछ लोगों में दस्त की शिकायत मिली थी, लेकिन चिकित्सा साहित्य के अनुसार नोरोवायरस जीबीएस का कारण नहीं बनता है. इसलिए, इसकी जांच अभी भी चल रही है, कारण की पहचान अभी तक नहीं की गई है." केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शहर में गिलियन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के संदिग्ध और पुष्ट मामलों में वृद्धि को नियंत्रित करने और हस्तक्षेप करने में राज्य अधिकारियों की सहायता के लिए पुणे में एक उच्च स्तरीय बहु-विषयक टीम तैनात की है. महाराष्ट्र भेजी गई केंद्रीय टीम में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) दिल्ली, निमहंस बेंगलुरु, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के क्षेत्रीय कार्यालय और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), पुणे के सात विशेषज्ञ शामिल हैं.
एनआईवी, पुणे के तीन विशेषज्ञ पहले से ही स्थानीय अधिकारियों की सहायता कर रहे थे. टीम राज्य के स्वास्थ्य विभागों के साथ मिलकर काम कर रही है और आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों की सिफारिश करने के लिए जमीनी स्थिति का जायजा ले रही है. रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय टीम को स्थिति की निगरानी और राज्य के साथ समन्वय करने का काम सौंपा गया है. शहर के विभिन्न हिस्सों से पानी के नमूने रासायनिक और जैविक विश्लेषण के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशाला में भेजे गए हैं. सूत्रों ने बताया, "निजी चिकित्सकों से अपील की गई है कि वे जीबीएस के किसी भी मरीज की सूचना संबंधित सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों को दें. नागरिकों को घबराना नहीं चाहिए - राज्य का स्वास्थ्य विभाग निवारक और नियंत्रण उपायों को लागू करने के लिए तैयार है." महाराष्ट्र ने सोलापुर में जीबीएस से जुड़ी अपनी पहली संदिग्ध मौत की सूचना दी, जबकि पुणे में प्रतिरक्षा तंत्रिका विकार के मामलों की संख्या 100 से अधिक हो गई है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, "शोध और अन्य विभागों की विशेषज्ञ टीम जमीनी स्तर पर बारीकी से काम कर रही है और स्थिति की निगरानी कर रही है."
गुलैन बैरे सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं?
जीबीएस से हाथों या पैरों में अचानक कमजोरी/लकवा हो सकता है. लोगों को चलने में परेशानी हो सकती है या अचानक दस्त और दस्त (लगातार अवधि के लिए) के साथ कमजोरी हो सकती है. नागरिकों को पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए भी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, जैसे कि उबला हुआ पानी पीना, और भोजन ताजा और साफ होना चाहिए. पके और बिना पके खाद्य पदार्थों को एक साथ न रखकर भी संक्रमण से बचा जा सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक बीमारी की प्रगति के बारे में बताते हुए, फोर्टिस अस्पताल में न्यूरोलॉजी के प्रमुख निदेशक और प्रमुख डॉ. प्रवीण गुप्ता ने कहा, "जीबीएस तब होता है जब कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी या श्वसन संक्रमण जैसे बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण से लड़ने के लिए बनाए गए एंटीबॉडी परिधीय तंत्रिकाओं के साथ क्रॉस-रिएक्ट करते हैं. इससे पैरों में शुरू होने वाला आरोही पक्षाघात होता है और ऊपर की ओर बढ़ता है. गंभीर मामलों में, मरीज वक्ष की मांसपेशियों की कमजोरी के कारण सांस लेने की क्षमता खो सकते हैं और उन्हें वेंटिलेटरी सपोर्ट की आवश्यकता होती है".
प्रभावी उपचार के लिए लक्षणों को जल्दी पहचानना महत्वपूर्ण है. पीएसआरआई अस्पताल में न्यूरोलॉजी में वरिष्ठ सलाहकार डॉ. भार्गवी रामानुजम के अनुसार, "जीबीएस आमतौर पर पैरों में कमजोरी के साथ शुरू होता है, जो ऊपर की ओर फैलता है. इसके साथ थोड़ी संवेदी हानि, पेशाब करने में कठिनाई या रक्तचाप में उतार-चढ़ाव हो सकता है. चेहरे की मांसपेशियों में कमजोरी से लार टपक सकती है, जो इस गंभीर स्थिति की शुरुआत का संकेत देती है".
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