Updated on: 20 February, 2025 03:41 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
फिलहाल सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है. जो कुल कर भार का 53 प्रतिशत वहन करता है.
प्रतीकात्मक छवि
अगर आप सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं तो यह खबर आपके लिए है. क्योंकि अब कयास लगाए जा रहे हैं कि इस सामग्री की कीमत बढ़ सकती है. सरकार इन उत्पादों पर जीएसटी बढ़ा सकती है. फिलहाल सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है. जो कुल कर भार का 53 प्रतिशत वहन करता है. फिलहाल सरकार को सुझाव दिया गया है कि जीएसटी को बढ़ाकर 40 फीसदी किया जाना चाहिए. और इस पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाया जाता है. आखिरकार सरकार का मकसद यही है कि मुआवजा उपकर और अन्य उपकर हटाने के बाद राजस्व का कोई नुकसान न हो.
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अब खबरें हैं कि इस जीएसटी (सिगरेट प्राइस हाइक) को बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया जाएगा. और उसके ऊपर एक्साइज ड्यूटी जोड़ दी जाएगी. विशेष रूप से, इसके पीछे उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मार्च 2026 में उपकर समाप्त होने के बाद तंबाकू उत्पादों से कर राजस्व में कमी न हो. इस मामले में अधिकारियों का कहना है कि सरकार मौजूदा सेस की जगह कोई नया सेस नहीं लगाना चाहती है.
सिगरेट और अन्य धुआं रहित तंबाकू उत्पादों, जिन्हें हानिकारक वस्तुओं के रूप में जाना जाता है, पर 28 प्रतिशत जीएसटी (सिगरेट मूल्य वृद्धि) और मुआवजा उपकर, मूल उत्पाद शुल्क और राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक शुल्क (एनडीसीएफ) लगाया जाता है. वहीं, सिगरेट पर 53 प्रतिशत टैक्स प्लस जीएसटी और अन्य टैक्स लगते हैं. हालाँकि, यह दर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित 75 प्रतिशत से कम है. आपको बता दें कि सिगरेट, पान मसाला के साथ-साथ तंबाकू और इसके उत्पाद सरकार के कर राजस्व में अच्छा योगदान देते हैं. अगर 2022-23 की बात करें तो सरकार को इससे 72,788 करोड़ रुपये की आय हुई. इस खबर के बाद तंबाकू की हिस्सेदारी में भी भारी गिरावट देखने को मिली.
GoM जो मंत्रियों की एक संस्था है. जिन्होंने सेस (सिगरेट मूल्य वृद्धि) की संरचना को बदलने की सिफारिश की और सुझाव दिया कि इसे बिक्री मूल्य के बजाय उत्पाद के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) से जोड़ा जाना चाहिए. फिर इस पर आगे की चर्चा के लिए फिटमेंट कमेटी को बुलाया गया. मुआवजा उपकर पर इस समूह ने दो संभावित समाधान (सिगरेट मूल्य वृद्धि) बताये. इनमें से एक सुझाव यह था कि सेस को मौजूदा टैक्स स्लैब में मिला दिया जाए. हालांकि, पूरी तस्वीर तभी साफ होगी जब जीएसटी काउंसिल कैबिनेट कमेटी की सिफारिशों की समीक्षा के बाद सिगरेट पर जीएसटी बढ़ाने या नई एक्साइज ड्यूटी लगाने पर फैसला लेगी.
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