प्रतिकात्मक तस्वीर/आईस्टॉक
इसलिए चल न सका कोई भी ख़ंजर मुझ पर
मेरी शह-रग पे मिरी मां की दुआ रक्खी थी
- नज़ीर ब़ाकरी
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
मां बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है
- मुनव्वर राणा
चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है
- मुनव्वर राणा
मुझे मालूम है मां की दुआएं साथ चलती हैं,
सफ़र की मुश्किलों को हाथ मलते मैंने देखा है
- आलोक श्रीवास्तव
एक मुद्दत से मेरी माँ नहीं सोई `ताबिश`
मैंने इक बार कहा था मुझे डर लगता है
- अब्बास ताबिश
कल अपने-आप को देखा था माँ की आँखों में
ये आईना हमें बूढ़ा नहीं बताता है
- मुनव्वर राणा
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