Updated on: 29 December, 2023 08:46 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
डब्ल्यूएएफ के चल रहे पांचवें संस्करण में बीमारियों से उत्पन्न चुनौतियों पर एक सत्र में प्रकाश डाला गया, जो मानव-से-मानव संपर्क से नहीं फैलते है लेकिन मधुमेह, रक्तचाप और हृदय रोगों जैसी प्रमुख स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करते हैं.
रिप्रेजेंटेटिव इमेज
भले ही भारत में 60 मिलियन गठिया रोगी हैं, लेकिन अधिकारियों द्वारा इस बीमारी को अभी भी एक प्रमुख गैर-संचारी रोग (एनसीडी) नहीं माना गया है, विशेषज्ञों ने 2 दिसंबर को केरल के तिरुवनंतपुरम में एक वैश्विक सम्मेलन में कहा. ग्लोबल आयुर्वेद फेस्टिवल (डब्ल्यूएएफ) के चल रहे पांचवें संस्करण में बीमारियों से उत्पन्न चुनौतियों पर एक सत्र में प्रकाश डाला गया, जो मानव-से-मानव संपर्क से नहीं फैलते है लेकिन मधुमेह, रक्तचाप और हृदय रोगों जैसी प्रमुख स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करते हैं.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
सार्वजनिक स्वास्थ्य और महामारी विज्ञान के आयुष प्रतिष्ठित अध्यक्ष डॉ. अरविंद चोपड़ा ने कहा कि मस्कुलोस्केलेटल दर्द पर एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण से पता चला है कि गठिया से प्रभावित लोग 0.32 प्रतिशत हैं. उन्होंने कहा, "लेकिन उस संख्या को भारतीय जनसंख्या के आंकड़ों से गुणा करने पर पता चलता है कि 60 मिलियन लोग इससे प्रभावित हैं. इसके अलावा, समस्या से प्रभावित कई लोग तब तक चिकित्सा सहायता नहीं लेते हैं जब तक कि यह गंभीर स्तर तक न बढ़ जाए."
शनिवार को शुरू हुए पांच दिवसीय सम्मेलन में विशेषज्ञों ने कहा कि अगर आयुर्वेद उपचार को अन्य उपचारों के साथ मिलाकर दिया जाए तो गठिया और मधुमेह जैसी बीमारियों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है. इंस्टीट्यूट फॉर पोस्ट-ग्रेजुएट टीचिंग एंड रिसर्च इन आयुर्वेद, जामनगर, गुजरात के निदेशक प्रोफेसर अनूप ठाकर और लातविया विश्वविद्यालय के मेडिसिन के प्रोफेसर वाल्डिस पिराग्स ने विभिन्न अध्ययनों से साक्ष्य प्रस्तुत किए कि योग के साथ संयोजन में आयुर्वेद का उपयोग किया जा सकता है. यह लोगों में मधुमेह की स्थिति को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकता है और उलट भी सकता है.
ठाकर ने कहा कि 2021 में किए गए एक वैश्विक अध्ययन में पाया गया कि 532 मिलियन लोग मधुमेह से पीड़ित थे और 2045 तक यह संख्या 783 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है. उन्होंने कहा, "अधिक डरावनी बात यह है कि सर्वेक्षण में मधुमेह रोगियों के रूप में पहचाने गए 266 मिलियन लोगों को पता ही नहीं था कि उन्हें कोई स्वास्थ्य समस्या है."
पिराग्स, जिन्होंने आयुर्वेद पर कुछ कार्यों का लातवियाई में अनुवाद किया है, ने यह दिखाने के लिए एक विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत किया कि मस्तिष्क का हाइपोथैलेमस क्षेत्र जो अंतःस्रावी तंत्र को नियंत्रित करता है, मधुमेह रोगियों को कैसे प्रभावित करता है, और आयुर्वेद उपचार से ऐसे रोगियों को होने वाले लाभों के बारे में साक्ष्य प्रस्तुत किए. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद के प्राचीन ज्ञान और पश्चिमी चिकित्सा के आधुनिक तरीकों का संयोजन ही आगे बढ़ने का रास्ता है.
सरकारी आयुर्वेद कॉलेज, कन्नूर, केरल के प्रोफेसर एस. गोपकुमार ने अपने अनुभव से केस स्टडीज़ प्रस्तुत की, जिसमें दिखाया गया कि कैसे आयुर्वेद गंभीर मधुमेह और श्वसन मामलों में भी प्रभावी उपचार प्रदान करता है. उन्होंने बताया कि आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों का मरीजों पर अपेक्षित प्रभाव नहीं पड़ रहा है, जिससे उन्हें उनकी मदद लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
उन्होंने यह भी कहा कि नई दिल्ली में वायु प्रदूषण के स्तर में हालिया बढ़ोतरी ने व्यक्तिगत स्तर पर इसके बजाय सामुदायिक स्तर पर प्रतिरक्षा में सुधार करने की आवश्यकता पर जोर दिया है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT