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अनिल अंबानी के लोन खाते से अब नहीं हुआ 1050 करोड़ रुपये का फ्रॉड, बैंक ने हटाया टैग

Updated on: 10 July, 2025 10:00 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

इसके चलते कंपनी को नवंबर 2024 में `फ्रॉड` लिस्ट में डाल दिया था. इस फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. उन्होंने कहा कि बैंक ने नियमों का पालन नहीं किया. बैंक ने अपना फैसला वापस ले लिया.

अनिल अंबानी (फोटो: मिड-डे)

अनिल अंबानी (फोटो: मिड-डे)

उद्योगपति अनिल अंबानी को केनरा बैंक से सबसे बड़ी राहत मिली है. बैंक ने अनिल अंबानी के लोन अकाउंट को `फ्रॉड` घोषित करने का अपना फैसला वापस ले लिया है. बैंक ने इससे पहले रिलायंस कम्युनिकेशंस पर 1,050 करोड़ रुपये के लोन में धोखाधड़ी का आरोप लगाया था. इसके चलते कंपनी को नवंबर 2024 में `फ्रॉड` लिस्ट में डाल दिया गया था. अनिल अंबानी ने इस फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. उन्होंने कहा कि बैंक ने जरूरी नियमों का पालन नहीं किया. कोर्ट ने मामले में दखल दिया, जिसके बाद बैंक ने अपना फैसला वापस ले लिया.

केनरा बैंक ने 2017 में रिलायंस कम्युनिकेशंस को 1,050 करोड़ रुपये का लोन दिया था. यह लोन कंपनी को पूंजीगत खर्च और लोन चुकाने के लिए दिया गया था. बैंक का आरोप है कि कंपनी ने इस पैसे का दुरुपयोग किया. बैंक के मुताबिक, रिलायंस ने लोन के पैसे को दूसरी कंपनियों में ट्रांसफर कर दिया. म्यूचुअल फंड और अचल संपत्तियों में निवेश किया. बैंक ने कहा, "ऋण से प्राप्त धनराशि को म्यूचुअल फंड और अचल संपत्तियों में निवेश किया गया." फिर इन्हें बेचकर संबंधित और असंबंधित पक्षों को भुगतान किया गया.


अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस ने इन आरोपों का खंडन किया है. कंपनी का कहना है कि उसके खिलाफ 2018 से दिवालियेपन की कार्यवाही चल रही है. इसलिए उसे ऐसी धोखाधड़ी वाली सूची में नहीं डाला जाना चाहिए. कंपनी का कहना है कि इस तरह का खुलासा दिवालियेपन प्रक्रिया में मुश्किलें पैदा कर सकता है.


बॉम्बे उच्च न्यायालय ने फरवरी में बैंक के आदेश पर रोक लगा दी थी. न्यायालय ने पूछा था कि क्या बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों का पालन कर रहे हैं. न्यायालय ने यह भी पूछा था कि क्या बैंक सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार काम कर रहे हैं. न्यायालय ने कहा था कि किसी भी कंपनी को धोखाधड़ी वाली सूची में डालने से पहले उसे अपनी बात रखने का अवसर दिया जाना चाहिए. जून में, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने भी रिलायंस कम्युनिकेशंस के ऋण लेखांकन में `धोखाधड़ी` की घोषणा की थी, जो दर्शाता है कि कंपनी लगातार वित्तीय तनाव में है. केनरा बैंक द्वारा `धोखाधड़ी` का लेबल वापस लेना वित्तीय खुलासे में प्रक्रिया का पालन करने के महत्व को दर्शाता है. बॉम्बे हाईकोर्ट का हस्तक्षेप दर्शाता है कि ऐसे मामलों में न्यायिक निगरानी आवश्यक है. 

यह मामला वित्तीय क्षेत्र में ऐसे फैसलों को रोकने के लिए सख्त जाँच और संतुलन की आवश्यकता को दर्शाता है. पूरा मामला आरबीआई के नियम से जुड़ा है. आरबीआई के नियम के अनुसार, अगर कोई बैंक किसी कंपनी को `धोखाधड़ी` घोषित करना चाहता है, तो उसे पहले कंपनी को अपना पक्ष रखने का मौका देना चाहिए. केनरा बैंक पर इस नियम का पालन न करने का आरोप है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में कहा था कि बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे सभी नियमों का पालन कर रहे हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि बैंकों को किसी भी कंपनी को धोखाधड़ी घोषित करने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए. केनरा बैंक के इस फैसले से अनिल अंबानी को थोड़ी राहत मिली है. लेकिन, रिलायंस कम्युनिकेशंस अभी भी वित्तीय मुश्किलों का सामना कर रही है. कंपनी पर अभी भी कई बैंकों का कर्ज है.


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