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बांध के पास के परिसरों में शराब पर हटा बैन

Updated on: 10 October, 2025 05:28 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि जल संसाधन विभाग ने इस संबंध में एक सरकारी प्रस्ताव (जीआर) जारी किया है.

प्रतीकात्मक छवि

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एक अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने अवैध शराब की बिक्री पर अंकुश लगाने और इन क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पाँच साल पुरानी नीति में संशोधन करके बांध बैकवाटर के पास परिसरों में शराब परोसने और सेवन की अनुमति दे दी है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि जल संसाधन विभाग ने इस संबंध में एक सरकारी प्रस्ताव (जीआर) जारी किया है.

रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में 3,255 सिंचाई परियोजनाएँ हैं, जिनमें 138 बड़ी, 255 मध्यम और 2,862 छोटी परियोजनाएँ शामिल हैं. इनमें से कई परियोजनाएँ पहाड़ी और दर्शनीय क्षेत्रों में स्थित हैं, जिनके पास कई विश्राम गृह, निरीक्षण बंगले और कर्मचारी आवास स्थित हैं. उन्होंने कहा कि जनशक्ति और रखरखाव की कमी के कारण, इनमें से अधिकांश संपत्तियाँ अप्रयुक्त रहती हैं.


इन संपत्तियों के व्यावसायिक उपयोग और संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए, विभाग ने 17 जून, 2019 को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) या निर्माण-संचालन-हस्तांतरण (बीओटी) मॉडल के तहत जलाशयों के पास भूमि और परिसर के विकास की अनुमति दी थी. हालाँकि, शराब की बिक्री और सेवन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, और 2019 के सरकारी आदेश में एक प्रावधान के तहत उल्लंघन की स्थिति में अनुबंध समाप्त करने की अनुमति दी गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारी ने कहा, "8 अक्टूबर को जारी नए सरकारी आदेश में इस प्रतिबंध को हटा दिया गया है और ऐसे परिसरों में शराब परोसने और सेवन की अनुमति दी गई है. पट्टे की अवधि, जो पहले 10 या 30 साल तक सीमित थी, अब 49 साल तक बढ़ाई जा सकती है."



उन्होंने कहा कि इस कदम का उद्देश्य बांध क्षेत्रों के आसपास अनधिकृत दुकानों और झुग्गियों के माध्यम से अवैध शराब की बिक्री पर अंकुश लगाना है, जो बांध की सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा करते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक जल संसाधन विभाग के अधिकारी ने कहा, "आतिथ्य गतिविधियों को विनियमन के दायरे में लाकर, विभाग कानून का अनुपालन सुनिश्चित कर सकता है, पर्यटन को बढ़ावा दे सकता है, स्थानीय लोगों के लिए रोजगार पैदा कर सकता है और राज्य के खजाने में राजस्व बढ़ा सकता है."


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