इस पूजा के दौरान पूरे परिवार ने धार्मिक विधि-विधान का पालन किया. जैन धर्म के अनुसार यह त्योहार आध्यात्मिकता और ध्यान का प्रतीक होता है, और इसमें भगवान महावीर के आदर्शों का अनुसरण करते हुए आत्मशुद्धि और अहिंसा के सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है.