इस दौरान मंच पर कई प्रमुख नेता और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे, जिनमें विधायक आदित्य ठाकरे, सांसद अरविंद सावंत, विधायक भास्कर जाधव, राकांपा प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल, विधायक मिलिंद नार्वेकर, शिवसेना उपनेता सचिन अहीर मौजूद दिखाई दिए.
साथ ही मनसे नेता बाला नंदगांवकर, राकांपा के जितेंद्र आव्हाड और गिरनी कामगार संयुक्त लाढ़ा समिति के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता शामिल थे.
आंदोलन को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, “मैं यहाँ केवल भाषण देने नहीं, बल्कि वादा निभाने आया हूँ. सत्ता में रहते हुए मैंने जो कहा था, आज उसी वादे को पूरा करने की जिम्मेदारी लेकर आया हूँ. अगर आप सब एकजुट रहेंगे, तो आपको अपना हक़ ज़रूर मिलेगा.”
भाजपा सरकार पर तीखा हमला करते हुए उन्होंने कहा, “हम कहते हैं – गुरुदेव भव: लेकिन आज उन्हीं गुरुओं के साथ अन्याय हो रहा है. जिनके कंधों पर देश का भविष्य तैयार होता है,
उन्हें ही किनारे किया जा रहा है. दिल्ली में बैठे उनके गुरु की शरण में रहकर महाराष्ट्र की सरकार शिक्षकों की आवाज़ दबा रही है.”
उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा, “पूरा महाराष्ट्र अन्याय की चपेट में है – कभी मिल मजदूर, कभी किसान, और अब शिक्षक. लेकिन अगर हम सब साथ आएँगे, तो ये सरकार घुटनों पर आएगी. शिवसेना अंत तक इस आंदोलन के साथ खड़ी रहेगी.”
सभा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार ने भी शिक्षकों की माँगों को न्यायपूर्ण बताया और सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की माँग की.
उन्होंने कहा, “यह केवल शिक्षकों का आंदोलन नहीं, यह समाज के भविष्य की लड़ाई है.”
नेताओं की एकजुटता ने आंदोलन को नई ऊर्जा दी, और मैदान में मौजूद शिक्षकों के चेहरों पर उम्मीद की रौशनी दिखाई दी.
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