इस स्काईवॉक का उद्देश्य था कि वह बांद्रा टर्मिनस से यात्रियों को बिना ट्रैफिक बाधा के प्लेटफॉर्म तक पहुंचने में सहायक हो, लेकिन आज यह अपनी जर्जर हालत में खड़ा है.
तस्वीरों में आप देख सकते है कि इसके विभिन्न हिस्सों में दरारें, क्षतिग्रस्त फर्श और सील किए गए निकासों ने इसे अधिकतर यात्रियों के लिए अनुपयोगी बना दिया है. इस स्काईवॉक का निर्माण मेट्रो, बस स्टॉप और टर्मिनस को जोड़ने के लिए किया गया था ताकि यात्रियों को सड़क पर भीड़-भाड़ का सामना न करना पड़े.
हालाँकि, वर्तमान में इसकी दुर्दशा के कारण यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से यह खतरनाक हो गया है. विशेष रूप से रात के समय यह असुरक्षित महसूस होता है, क्योंकि यहां लाइट की उचित व्यवस्था नहीं है और सफाई की भी कमी है.
आस-पास की जगह पर नियमित रूप से अतिक्रमण और असामाजिक तत्वों की उपस्थिति ने इसकी स्थिति को और बिगाड़ दिया है.
स्काईवॉक सील होने के कारण यात्रियों को इसे उपयोग करने में असुविधा होती है. इसका सीधा प्रभाव लोगों की यात्रा के समय और सुरक्षा पर पड़ता है, क्योंकि उन्हें वैकल्पिक रास्तों का उपयोग करना पड़ता है, जो अधिक समय लेते हैं और कम सुरक्षित भी हैं.
कई यात्रियों का कहना है कि यदि इस स्काईवॉक का उचित रखरखाव और प्रबंधन नहीं किया गया, तो इसका अस्तित्व मात्र कागजों तक ही सीमित रह जाएगा.
यात्रियों और स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि इस स्काईवॉक की मरम्मत की जाए और इसे सुचारू रूप से चालू किया जाए.
आवश्यक है कि इसे एक सुरक्षित, स्वच्छ और सुगम आवागमन का साधन बनाया जाए, ताकि इसका उपयोग बढ़े और यह अपने उद्देश्य को सही तरीके से पूरा कर सके.
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