हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व होता है, जो 15 दिनों तक चलता है. इस दौरान पितरों को तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध द्वारा संतुष्ट किया जाता है. (Pics / Anurag Ahire)
मान्यता है कि पितृ पक्ष के इन दिनों में पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने परिजनों से अन्न और जल की कामना करते हैं.
इस समय उन्हें तृप्त करने से पितर दोष दूर होता है, जो कि व्यक्ति के जीवन में आ रही कई बाधाओं का कारण हो सकता है.
पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और परिवार को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.
पिंडदान के दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा को तृप्त करने के लिए अन्न और जल का अर्पण करते हैं.
सर्वपितृ अमावस्या का यह दिन उन सभी पूर्वजों के लिए विशेष होता है, जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती या जिनका श्राद्ध किसी कारणवश नहीं हो पाता.
ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए तर्पण और पिंडदान से तीन पीढ़ियों के पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है,
उनका आशीर्वाद परिवार को सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करता है.
बाणगंगा कुंड जैसे पवित्र स्थलों पर इस दिन विशेष महत्व होता है, जहाँ बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे होते हैं.
अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अर्पण करते हैं.
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