सोने-चांदी के आभूषण, मूर्तियां, गदा, मोदक, नारियल और अन्य धार्मिक वस्तुओं समेत कुल 108 मूल्यवान वस्तुएं नीलाम की गईं. इस वर्ष की नीलामी से मंडल ने कुल 1,65,71,111 की राशि एकत्र की, जो समाजसेवा और धर्मार्थ कार्यों में उपयोग की जाएगी. (Pic/Shirish Vaktania)
इस बहुप्रतीक्षित नीलामी की शुरुआत सुबह से ही भक्तों की भीड़ के बीच हुई. कई श्रद्धालु सुबह-सुबह लाइन में लगकर सबसे पहले बोली लगाने की प्रतीक्षा कर रहे थे.
सबसे पहले सफल बोलीदाताओं में मुलुंड निवासी नागेश देसाई रहे, जिन्होंने 5,000 से शुरू हुई बोली में 50,000 की ऊंची बोली लगाकर 56 ग्राम की चांदी की गणपति मूर्ति अपने नाम कर ली.
उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा, “मैं इस नीलामी में सबसे पहले कुछ जीतना चाहता था और इसके लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार था.”
नीलामी में एक और आकर्षण बना 244 ग्राम चांदी का मोदक, जिसे बोरीवली की जयश्री शाह ने 41,000 में खरीदा.
वहीं, दिन की सबसे ऊंची बोली पनवेल निवासी अशोक चोरडिया ने 61,000 लगाकर चांदी का विशाल मोदक जीतकर लगाई.
इसके अलावा लालबाग के राजेंद्र चव्हाण और उल्हासनगर के सुरेश जसवानी ने 25,000 में चांदी की गदा खरीदी,
जबकि ताड़देव के दिलीप अंधाले ने 35,000 की बोली लगाकर चांदी का नारियल हासिल किया.
गोरेगांव के सुयोग वर्दे ने अपने चाचा की निजी मन्नत पूरी करते हुए 38,000 में चांदी का मूषक खरीदा. उन्होंने कहा, “मेरे चाचा ने मुझे लालबागचा राजा से किसी भी कीमत पर एक मूषक घर लाने को कहा था और मैंने ऐसा ही किया.”
लालबागचा राजा सार्वजनिक मंडल की यह वार्षिक नीलामी कई दशकों पुरानी परंपरा है.
इस नीलामी से प्राप्त धनराशि का उपयोग मंडल द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सामुदायिक कल्याण कार्यों में किया जाता है.
हर साल की तरह इस बार भी भक्तों ने श्रद्धा और उत्साह से नीलामी में भाग लेकर अपने आराध्य को समर्पित वस्तुएं हासिल कीं, जिससे आयोजन की गरिमा और भी बढ़ गई.
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