`मुंबई गिरनी कामगार यूनियन` के सेक्रेटरी एकनाथ माने ने बताया कि `हम कई सालों मिल मजदूरों को घर मिले इसके लिया लड़ाई लड़ रहे हैं. एक सरकार आती है वह चली जाती हैं, लेकिन हमारी मांगे अनदेखी हो रही हैं.`
माने ने आगे बताया कि जब देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे तब भी हमने उनके बैठक की थी. उस दौरान उन्होंने हमें कई आश्वाशन दिए लेकिन वह पूरे नहीं हुए. इसके बाद उनकी सरकार गई फिर उद्धव ठाकरे की सरकार आई वह भी चली गई. अब एकनाथ शिंदे की सरकार है वह भी मिल मिल मजदूरों की मांग पूरी करती दिखाई नहीं दे रही हैं.`
सरकार उन श्रमिकों को मुफ्त आवास उपलब्ध करा रही है जिन्होंने 1982 की मिल हड़ताल के बाद अपनी नौकरी खो दी थी. इस पर बात करते हुए `मुंबई गिरनी कामगार यूनियन` के सेक्रेटरी एकनाथ माने ने कहा, `साल 1982 से पहले भी कई मिल मजदूर काम करते थे लेकिन उनके लिए सरकार घर देने से मना कर रही है.`
माने ने आगे कहा, `साल 1982 में काम किए कामगारों ने भी बहुत की सहा हैं. उस दौरान हत्या और गुंडागर्दी बहुत ज्यादा बढ़ गई थी. इस डर के कारण कई मिल मजदूरों ने काम पर आना बंद कर दिया था. क्या ऐसे कामगारों को आप अपात्र ठगराएंगे?`
सरकार उन श्रमिकों को मुफ्त आवास उपलब्ध करा रही है जिन्होंने 1982 की मिल हड़ताल के बाद अपनी नौकरी खो दी थी. इस पर बात करते हुए `मुंबई गिरनी कामगार यूनियन` के सेक्रेटरी एकनाथ माने ने कहा, `साल 1982 से पहले भी कई मिल मजदूर काम करते थे लेकिन उनके लिए सरकार घर देने से मना कर रही है.`
माने ने आगे कहा, `साल 1982 में काम किए कामगारों ने भी बहुत की सहा हैं. उस दौरान हत्या और गुंडागर्दी बहुत ज्यादा बढ़ गई थी. इस डर के कारण कई मिल मजदूरों ने काम पर आना बंद कर दिया था. क्या ऐसे कामगारों को आप अपात्र ठगराएंगे?`
मिली जानकारी के अनुसार, जब सरकार ने मिल भूमि के पुनर्विकास की अनुमति दी, तो उसने मिल भूमि पर मिल श्रमिकों को आवास देने का वादा किया. म्हाडा इन मकानों का निर्माण कर रहा है, लेकिन अब तक केवल कुछ हजार लोगों को ही आवास मिला है.
सरकार ने उन लोगों को उनके गांवों में आवास प्रदान करने का निर्णय लिया, जिन्होंने इसका विकल्प चुना था.
ADVERTISEMENT