धारावी में दक्षिण भारतीय समुदाय ने इस खास मौके पर अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों को बड़े गर्व और उत्साह के साथ निभाया. (PHOTOS / ATUL KAMBLE)
धारावी, जो विभिन्न संस्कृतियों और समुदायों का केंद्र है, इस समय पूरी तरह से त्योहार के रंग में रंगा हुआ नजर आया. 90 फीट रोड पर दक्षिण भारतीय समुदाय के लोग पारंपरिक परिधानों में सजे-धजे दिखे. इस दौरान, महिलाएं पारंपरिक कांजीवरम साड़ियां पहने और पुरुष धोती और अंगवस्त्रम में नजर आए.
पोंगल से पहले धारावी के बाजारों में जबरदस्त रौनक देखने को मिली, जहां लोग त्योहार के लिए आवश्यक सामान जैसे चावल, गुड़, नारियल, हल्दी के पत्ते और मिट्टी के बर्तन खरीदते देखे गए.
पोंगल उत्सव के मुख्य आकर्षण में पारंपरिक व्यंजन पोंगल (चावल, गुड़ और दूध से बना विशेष पकवान) की तैयारी रही.
धारावी के कई स्थानों पर सामूहिक रूप से मिट्टी के बर्तनों में पोंगल पकाने का आयोजन किया गया. जैसे ही पोंगल पकने के दौरान दूध उफनता, लोग खुशी से "पोंगलो पोंगल" के नारे लगाते और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते.
इसके अलावा, इस त्योहार पर पारंपरिक नृत्य और संगीत का भी आयोजन हुआ. तमिल गीतों पर नृत्य और कोलम (रंगोली) बनाने की प्रतियोगिताएं भी हुईं, जिसमें महिलाओं और बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
यह त्योहार केवल धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन ही नहीं, बल्कि समुदायों को एकजुट करने का भी माध्यम बना. त्योहार के इस अवसर पर धारावी के दक्षिण भारतीय समुदाय ने मुंबई के अन्य लोगों को भी अपनी परंपराओं से रूबरू कराया.
धारावी में पोंगल का यह उत्सव न केवल दक्षिण भारतीय संस्कृति की झलक प्रस्तुत करता है, बल्कि मुंबई की विविधता और भाईचारे को भी उजागर करता है. यह त्योहार सभी को खुशियों और समृद्धि का संदेश देता है.
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