जनजागरण अभियान के आयोजकों ने ईवीएम को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि ईवीएम में गड़बड़ियों की वजह से चुनाव परिणाम प्रभावित हो रहे हैं.
प्रदर्शनकारियों ने पारंपरिक बैलेट पेपर प्रणाली की वापसी की मांग की. उनका मानना है कि यह प्रणाली अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष है, जिससे आम जनता का लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास बहाल हो सकेगा.
इस प्रदर्शन के दौरान फड़णवीस सरकार की आलोचना भी जोर-शोर से की गई. प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार जनता की समस्याओं को अनदेखा कर रही है और लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार के संरक्षण में चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित किया जा रहा है, जिससे लोगों के अधिकारों का हनन हो रहा है.
महापरिनिर्वाण दिवस पर इस तरह के अभियान का आयोजन करना खास संदेश देता है. प्रदर्शनकारियों ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की विचारधारा का जिक्र करते हुए कहा कि लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए हर नागरिक को जागरूक होना चाहिए. अंबेडकर के विचारों से प्रेरणा लेते हुए, उन्होंने ईवीएम के खिलाफ अपने आंदोलन को देश के भविष्य के लिए आवश्यक बताया.
प्रदर्शनकारियों ने "ईवीएम हटाओ, लोकतंत्र बचाओ" और "देश बचाओ, बैलेट पेपर लाओ" जैसे नारे लगाए. उन्होंने चुनाव आयोग से निष्पक्षता सुनिश्चित करने और जनता की आवाज सुनने की अपील की. साथ ही, उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो इस आंदोलन को पूरे देश में फैलाया जाएगा.
शिवाजी पार्क में जुटे प्रदर्शनकारियों ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपने संघर्ष को जारी रखने का संकल्प लिया. उन्होंने कहा कि यह आंदोलन किसी राजनीतिक पार्टी का नहीं, बल्कि जनता का आंदोलन है. यह आंदोलन देश के हर नागरिक को अपनी भूमिका निभाने और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए खड़े होने का आह्वान करता है. इस जनजागरण अभियान ने महापरिनिर्वाण दिवस पर डॉ. अंबेडकर के विचारों को जीवंत किया और लोकतंत्र की मजबूती के लिए एक नई उम्मीद जगाई.
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