राज ठाकरे, जिन्होंने 2006 में शिवसेना छोड़ने के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का गठन किया था, ने हाल ही में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ पुराने मतभेदों को भुलाकर फिर से एक होने की बात कही थी. (Pic/Shadab Khan)
उन्होंने यह भी कहा था कि मराठी मानुष के हित में एकजुट होना कोई मुश्किल काम नहीं है. उनके इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में इस संभावना पर चर्चा शुरू हो गई कि शायद अब शिवसेना और मनसे के बीच एक नई शुरुआत हो सकती है.
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी राज ठाकरे के बयान का सकारात्मक तरीके से स्वागत किया.
उद्धव ने कहा कि वह किसी भी छोटी-मोटी लड़ाई को किनारे रखने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को इस साझेदारी में शामिल न किया जाए. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी के साथ कोई समझौता किया जाता है, तो वह केवल मराठी जनता और महाराष्ट्र के कल्याण के लिए होगा.
इस बीच, मुंबई के गिरगांव इलाके में एक चर्च के बाहर एक पुरानी तस्वीर सामने आई है, जिसमें दिवंगत शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे और उनके बेटे उद्धव और भतीजे राज की एक साथ तस्वीर लगी हुई है.
इस तस्वीर को देखकर यह महसूस होता है कि एक समय था जब ठाकरे परिवार के तीनों सदस्य एकजुट थे और एक साथ काम कर रहे थे. यह तस्वीर इस समय चर्चा का विषय बन गई है, खासकर जब राज और उद्धव के बीच एक समझौते की संभावना की बातें चल रही हैं.
हालांकि, शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने इन सभी अटकलों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अभी तक दोनों पार्टियों के बीच कोई आधिकारिक गठबंधन नहीं हुआ है और सिर्फ भावनात्मक बातचीत हो रही है.
उन्होंने यह भी कहा कि दोनों भाइयों के बीच रिश्ते खराब नहीं हुए हैं, और यह संभव है कि भविष्य में इस दिशा में और बातचीत हो.
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच यह बातचीत निश्चित रूप से महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है. अगर यह सुलह होती है, तो इसका असर न केवल शिवसेना और मनसे की राजनीति पर पड़ेगा, बल्कि यह राज्य की राजनीति में एक नई दिशा भी दिखा सकता है. आने वाले दिनों में इस पर और बातचीत और प्रतिक्रियाएँ सामने आ सकती हैं.
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