प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की.
शाम 4:30 बजे पनवेल रेलवे स्टेशन से पनवेल बस डिपो तक प्रदर्शनकारी नारेबाजी करते हुए आगे बढ़े.
प्रदर्शनकारियों ने मानव श्रृंखला बनाकर शांतिपूर्ण विरोध दर्ज कराया.
उन्होंने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय और अल्पसंख्यकों पर हो रहे कथित अमानवीय अत्याचारों को रोकने और इस्कॉन साधुओं की तत्काल रिहाई की मांग की.
प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने आरोप लगाया कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा निरंतर हमले किए जा रहे हैं.
उनके अनुसार, मंदिरों, घरों और दुकानों को जलाने जैसी घटनाएं आम हो गई हैं. महिलाओं के खिलाफ हिंसा और अमानवीय अत्याचार भी गंभीर चिंता का विषय हैं.
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि इन घटनाओं पर बांग्लादेश की सरकार मौन साधे हुए है, जिससे अत्याचार करने वालों को प्रोत्साहन मिल रहा है.
प्रदर्शनकारियों ने संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की अपील की.
उन्होंने कहा कि मुंडा, चकमा, कुकी, बौद्ध जैसे आदिवासी समुदायों और दलित हिंदू समाज के लोगों को सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए.
प्रदर्शनकारियों ने जोर देकर कहा कि अगर बांग्लादेश सरकार इन अत्याचारों को रोकने में विफल रहती है तो वैश्विक स्तर पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.
भारत के हिंदू समाज ने इन घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की है. प्रदर्शनकारियों का मानना है कि अगर समय रहते इन मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान नहीं दिया गया,
तो हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की स्थिति और भी बदतर हो सकती है.
इस विरोध प्रदर्शन ने पनवेल में नागरिकों और संगठनों का ध्यान आकर्षित किया.
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ठोस कदम उठाने की अपील की.
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