Updated on: 02 July, 2025 09:05 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
घटना के बाद युवती के पेट में दर्द होने लगा और वह दो दिन तक शौच नहीं कर सकी. उसे निजी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में लाया गया.
प्रतीकात्मक छवि
निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने बिना सर्जरी के सिग्मोयडोस्कोपी से एक युवती की आंतों में फंसी मॉस्चराइजर की बोतल निकाली. यौन उत्सुकता के चलते 27 वर्षीय युवती ने बोतल अपने गुप्तांग में डालने की कोशिश की, जो उसके गुप्तांग में फंस गई. घटना के बाद युवती के पेट में दर्द होने लगा और वह दो दिन तक शौच नहीं कर सकी. उसे निजी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में लाया गया.
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पूछताछ करने पर युवती ने बताया कि उसने दो दिन पहले यौन सुख की चाह में अपने गुप्तांग में मॉस्चराइजर की बोतल डालने की कोशिश की थी. युवती पहले पास के अस्पताल गई, जहां डॉक्टरों ने बोतल निकालने की कोशिश की, लेकिन वे असफल रहे. इसके बाद उसके पेट का एक्स-रे कराया गया, जिसमें बोतल गुप्तांग के ऊपरी हिस्से में फंसी मिली. युवती की गंभीर हालत और आंत फटने की आशंका को देखते हुए उसे तुरंत उसी रात सर्जरी के लिए ले जाया गया.
सर्जरी करने वाली टीम में डॉ. तरुण मित्तल, डॉ. आशीष डे, डॉ. अनमोल आहूजा, डॉ. श्रेयश मांगलिक और एनेस्थेटिस्ट डॉ. प्रशांत अग्रवाल शामिल थे. सिग्मोयडोस्कोपी की मदद से बोतल को सफलतापूर्वक निकाला गया. इस प्रक्रिया में पेट या आंतों में किसी तरह का चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ी, जिससे मरीज को कम दर्द हुआ और वह तेजी से ठीक हो गया. पूरी बोतल सुरक्षित तरीके से निकाली गई और मरीज की हालत में सुधार होने पर अगले दिन उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. डॉ. अनमोल आहूजा ने कहा कि ऐसे मामलों का समय बर्बाद किए बिना इलाज करना जरूरी है. अगर समय पर इलाज न मिले तो इससे आंत के फटने का खतरा बढ़ जाता है.
उन्होंने कहा कि एंडोस्कोपी, सिग्मोयडोस्कोपी और लैप्रोस्कोपी जैसी मिनिमली इनवेसिव तकनीकों के जरिए इसका सुरक्षित तरीके से इलाज किया जा सकता है. डॉ. तरुण मित्तल ने कहा कि ऐसे मरीज अक्सर खुद को अकेला महसूस करते हैं और इलाज के दौरान इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए. अगर ऐसे मरीज मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं तो उनकी काउंसलिंग की जा सकती है.
बच्ची को अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया. पूछताछ में लड़की ने बताया कि दो दिन पहले उसने यौन सुख की चाह में अपने गुप्तांग में मॉइश्चराइजर की बोतल डालने की कोशिश की थी. डॉ. तरुण मित्तल ने बताया कि अक्सर ऐसे मरीज अकेलापन महसूस करते हैं, इलाज के दौरान इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए. अगर ऐसे मरीज मानसिक बीमारी से ग्रसित हैं, तो उनकी काउंसलिंग की जा सकती है.
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