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औरंगाबाद की बौद्ध गुफाओं के संरक्षण हेतु 7 अक्टूबर को `बौद्ध गुफा बचाव मोर्चा`, प्रकाश अंबेडकर का मिला समर्थन

Updated on: 06 October, 2024 01:59 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

औरंगाबाद की ऐतिहासिक बौद्ध गुफाओं के संरक्षण और विकास के लिए 7 अक्टूबर को `बौद्ध गुफा बचाव मोर्चा` आयोजित किया जाएगा.

X/Pics, Prakash Ambedkar

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की हाइलाइट्स

  1. 7 अक्टूबर को औरंगाबाद की ऐतिहासिक बौद्ध गुफाओं के संरक्षण और विकास के लिए मोर्चे का आयोजन
  2. वंचित बहुजन अघाड़ी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने आंदोलन को समर्थन दिया
  3. औरंगाबाद की बौद्ध गुफाएं पिछले 60-70 वर्षों से बौद्ध अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हैं

औरंगाबाद की ऐतिहासिक बौद्ध गुफाओं के संरक्षण और विकास के उद्देश्य से 7 अक्टूबर को `बौद्ध गुफा बचाव मोर्चा` का आयोजन किया जाएगा. इस आंदोलन को वंचित बहुजन अघाड़ी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, एडवोकेट प्रकाश अंबेडकर का समर्थन मिला है. औरंगाबाद दुनिया भर के बौद्ध अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, जहां पिछले 60-70 वर्षों से बौद्ध अनुयायी गहरी श्रद्धा से पूजा और ध्यान करते आ रहे हैं. विशेष रूप से गुफाओं की तलहटी में स्थित विपश्यना बुद्ध विहार एक प्रमुख ध्यान केंद्र के रूप में जाना जाता है.

हालांकि, हाल ही में भारतीय न्यायपालिका ने इस स्थल को अतिक्रमण बताते हुए, भारतीय न्याय संहिता की धारा 168 के तहत सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक नोटिस जारी किया है. इस नोटिस में बुद्ध विहार और बौद्ध मूर्तियों को हटाने का आदेश दिया गया है. इस निर्णय ने बौद्ध समुदाय में गहरी चिंता उत्पन्न कर दी है, क्योंकि यह स्थल उनके धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास का एक अभिन्न हिस्सा है. ऐसे में इस निर्णय के विरोध में `बौद्ध गुफा बचाव मोर्चा` का आयोजन किया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य इस ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करना और इसके महत्व को जन-जन तक पहुंचाना है.


प्रकाश अंबेडकर ने इस मोर्चे को अपना पूरा समर्थन दिया है और कहा है कि इस स्थल को मिटाने की किसी भी योजना का वे पुरजोर विरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि बौद्ध अनुयायियों के लिए यह स्थल एक शक्ति-स्थली है, और इसे संरक्षित करने के लिए किए जा रहे प्रयास अत्यंत सराहनीय हैं. उन्होंने बौद्ध गुफाओं और बुद्ध विहार को बचाने के लिए चलाए जा रहे इस आंदोलन को एक महत्वपूर्ण कदम बताया और इसे पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया.



हालांकि, अंबेडकर अपनी अन्य व्यस्तताओं के कारण 7 अक्टूबर को इस मोर्चे में शामिल नहीं हो पाएंगे, लेकिन उन्होंने इस आंदोलन की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएँ दी हैं और भविष्य में इसके आगामी कार्यक्रमों में भाग लेने का वादा किया है. इस मोर्चे से बौद्ध गुफाओं के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश जाएगा.

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