एनजीओ वनशक्ति के निदेशक स्टालिन डी ने बताया कि यह पहली बार है जब भारत और महाराष्ट्र में इतने बड़े स्तर पर समुद्र तल की सफाई का काम हुआ. (स्टोरी क्रेडिट: Ranjeet Shamal Bajirao Jadhav)
इस अभियान का उद्देश्य कोरल रीफ और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को साफ और स्वस्थ बनाना है. उन्होंने कहा कि मलबा, खासतौर पर टूटे हुए जाल और गैर-अपघटनीय कचरा, समुद्री जीवों जैसे केकड़े, मछली और कछुए के लिए खतरनाक है. ये मलबा समुद्री जीवों को फंसा देता है और उनके लिए घातक साबित होता है.
मालवण के स्थानीय स्कूबा गोताखोरों ने इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभाई. उन्होंने कहा कि गंदगी के कारण उनकी आजीविका पर असर पड़ रहा था, क्योंकि पर्यटकों को गंदे और कचरे से भरे कोरल देखने को मिलते थे.
अब सफाई के बाद यह इलाका साफ और आकर्षक लग रहा है, जिससे पर्यटकों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है.
स्टालिन डी ने बताया कि समुद्र तल की सफाई का काम बेहद कठिन और महंगा है. इसके लिए कुशल गोताखोरों और भारी जनशक्ति की जरूरत होती है. पानी के अंदर जालों को निकालने और उन्हें बांधने में काफी समय लगता है.
उन्होंने महाराष्ट्र राज्य पर्यावरण विभाग और एमपीसीबी का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस पहल का समर्थन किया.
इस परियोजना, जिसे "क्लीन शोर्स" नाम दिया गया है, का उद्देश्य मालवान तट और आसपास के समुद्री क्षेत्रों को पूरी तरह से साफ रखना है. स्थानीय मछुआरे और पर्यावरणविद इस पहल से बहुत खुश हैं क्योंकि यह स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र और मछली पकड़ने के लिए बेहतर अवसर प्रदान करेगा. यह अभियान अगले साल भी जारी रहेगा, जिससे सिंधुदुर्ग के समुद्री क्षेत्र को और अधिक स्वच्छ और स्वस्थ बनाया जाएगा.
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