Updated on: 20 February, 2025 09:06 AM IST | Mumbai
17 वर्षीय भारोत्तोलन चैम्पियन यास्तिका आचार्य की जिम में ट्रेनिंग के दौरान दर्दनाक मौत हो गई. वह 270 किलो वजन उठाने का प्रयास कर रही थी, जब संतुलन बिगड़ने से भारी बारबेल उसकी गर्दन पर गिर गया.
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भारोत्तोलन में जूनियर राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता 17 वर्षीय यास्तिका आचार्य की दुखद मृत्यु ने खेल जगत को झकझोर कर रख दिया है. वह एक महत्वाकांक्षी एथलीट थी, जिसका सपना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने का था, लेकिन एक भयानक दुर्घटना ने उसके सभी सपनों को चकनाचूर कर दिया.
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बुधवार को यास्तिका अपने नियमित जिम सत्र के दौरान 270 किलोग्राम वजन उठाने का प्रयास कर रही थी. यह उसके लिए एक चुनौतीपूर्ण लिफ्ट थी, लेकिन उसने पहले भी ऐसे भारी वजन उठाए थे. हालांकि, इस बार परिस्थितियां अलग थीं. जैसे ही उसने बारबेल को ऊपर उठाने की कोशिश की, उसने अचानक नियंत्रण खो दिया. देखते ही देखते भारी वजन सीधा उसकी गर्दन पर आ गिरा, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं. प्रभाव इतना तीव्र था कि वह तुरंत ही जमीन पर गिर गई और बेहोश हो गई.
एक झटके में टूटी गर्दन और दर्दनाक मौत, नेशनल गोल्ड चैंपियन व बीकानेर की वेटलिफ्टर यष्टिका आचार्य के साथ जिम में हादसा #यष्टिका_आचार्य #yashtikaacharya #Weightlifting #accident #हादसा #बीकानेर #Bikaner #Bikanernews #rajasthan #rabishpost #YashtikaAcharya pic.twitter.com/0XP9Ox5dQA
— Rabish Post (@rabishpost) February 19, 2025
मौत से जुड़ा वायरल वीडियो
जिम में मौजूद लोगों ने तुरंत उसे उठाने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. मेडिकल सहायता मिलने से पहले ही यास्तिका की मौत हो गई. इस हृदयविदारक घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह वेटलिफ्टिंग करती नजर आ रही है. वीडियो में दिखता है कि जैसे ही उसने भारी वजन उठाने का प्रयास किया, उसकी गर्दन झुक गई और वह ध्वस्त हो गई.
यास्तिका आचार्य की असमय मौत से भारोत्तोलन समुदाय और खेल प्रेमियों में गहरा शोक है. कई वरिष्ठ खिलाड़ियों, कोचों और खेल विशेषज्ञों ने इस घटना पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं. भारतीय भारोत्तोलन महासंघ ने इस त्रासदी पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक उभरते हुए सितारे की असमय विदाई है.
इस घटना ने भारोत्तोलन और अन्य वेट ट्रेनिंग स्पोर्ट्स में सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या यास्तिका का प्रशिक्षण पर्याप्त सुरक्षित था? क्या वह इतनी भारी लिफ्ट के लिए पूरी तरह से तैयार थी? इन सवालों के जवाब तलाशने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.
यास्तिका का सपना अधूरा रह गया
यास्तिका आचार्य के कोच और परिवार के अनुसार, वह बेहद प्रतिभाशाली और मेहनती एथलीट थी. उसका सपना भारत के लिए ओलंपिक में पदक जीतना था. उसकी लगन और समर्पण ने उसे कम उम्र में ही सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया था, लेकिन यह हादसा उसके सभी सपनों को अधूरा छोड़ गया.
यह हादसा न केवल भारोत्तोलन बल्कि पूरे खेल जगत के लिए एक बड़ा सबक है. खिलाड़ियों की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए और इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में कोई और होनहार एथलीट इस तरह अपनी जान न गंवाए.
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