गुकेश ने टूर्नामेंट में अद्वितीय कौशल और बेहतरीन रणनीति का प्रदर्शन किया. उन्होंने कुल 14 मैचों के विश्व चैंपियनशिप मुकाबले में जबरदस्त मानसिक मजबूती और खेल के प्रति दृढ़ संकल्प दिखाया. उनकी इस जीत को भारतीय शतरंज के इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय माना जा रहा है.