Updated on: 18 July, 2025 11:33 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
एक 36 वर्षीय बिज़नेसवुमन ने ठाणे के किम्स हॉस्पिटल्स में आर्टिफिशियल सर्वाइकल डिस्क रिप्लेसमेंट सर्जरी के माध्यम से अपनी रीढ़ की गंभीर समस्या को हल किया.
डॉक्टरों ने एक आधुनिक, बॉडी-फ्रेंडली और मोबाइल इम्प्लांट का उपयोग किया. यह सर्जरी गर्दन के सामने की ओर से किए गए एक छोटे चीरे के ज़रिए मात्र 90 मिनट में पूरी हुई, और खून भी बहुत कम बहा.
रीढ़ की हड्डी की सर्जरी को लेकर आमतौर पर लोगों में डर और भ्रम होता है, खासकर तब जब मरीज़ की उम्र कम हो. लेकिन ठाणे की 36 वर्षीय एक बिज़नेसवुमन ने इन सभी आशंकाओं को गलत साबित कर दिया. रोज़ाना यात्राएं, मीटिंग्स और नए कामों में व्यस्त रहने वाली यह महिला अचानक रीढ़ की गंभीर समस्या की चपेट में आ गई. एक लंबी रोड ट्रिप के दौरान घंटों बैठने, झटकों और गर्दन पर पड़े दबाव के कारण उनकी पहले से मौजूद तकलीफ़ बढ़ गई और हालत इतनी बिगड़ गई कि रोजमर्रा के छोटे-छोटे काम भी मुश्किल हो गए.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
तेज़ और लगातार दर्द से परेशान होकर उन्होंने किम्स हॉस्पिटल्स, ठाणे के स्पाइन सर्जन डॉ. जयेश भानुशाली से परामर्श लिया. जांच में पता चला कि उनकी रीढ़ की नसों पर दबाव बन रहा था और यदि समय पर इलाज नहीं होता, तो यह स्थिति न्यूरोलॉजिकल जटिलताओं का रूप ले सकती थी. ऐसे में डॉ. भानुशाली ने तुरंत सर्जरी की सलाह दी.
हालांकि, अपनी उम्र को देखते हुए वह महिला पहले थोड़ी झिझकीं. उन्हें लगता था कि रीढ़ की सर्जरी सिर्फ बुज़ुर्गों के लिए होती है. लेकिन डॉक्टर ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उनके लिए एक आधुनिक और कारगर समाधान मौजूद है, जिससे न केवल दर्द से राहत मिलेगी, बल्कि उनकी गर्दन की सामान्य गति भी बनी रहेगी. यह समाधान था – आर्टिफिशियल सर्वाइकल डिस्क रिप्लेसमेंट.
पारंपरिक फ्यूजन सर्जरी, जिसमें गर्दन की मूवमेंट सीमित हो जाती है, की बजाय डॉक्टरों ने एक आधुनिक, बॉडी-फ्रेंडली और मोबाइल इम्प्लांट का उपयोग किया. यह सर्जरी गर्दन के सामने की ओर से किए गए एक छोटे चीरे के ज़रिए मात्र 90 मिनट में पूरी हुई, और खून भी बहुत कम बहा. सर्जरी के महज पाँच घंटे बाद ही वे बिना दर्द के चलने लगीं और 48 घंटों के भीतर उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.
उनकी पकड़ की ताकत लौट आई, ब्लैडर फंक्शन सामान्य हो गया और गर्दन की हरकतें भी पूरी तरह से बहाल हो गईं. जब डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि वे सिर्फ तीन हफ्तों में अहमदाबाद जाकर अपना नया बिज़नेस लॉन्च कर सकती हैं, तो उन्हें खुद पर यकीन नहीं हुआ. यह दिखाता है कि आज की रीढ़ की सर्जरी कितनी तेज़, सुरक्षित और जीवन बदलने वाली हो गई है—जिससे मरीज़ कम समय में फिर से अपनी ज़िंदगी की रफ्तार पकड़ सकते हैं.
डॉ. भानुशाली ने कहा, “युवा मरीज़ों के लिए रीढ़ की लचीलापन यानी मूवमेंट को बनाए रखना बेहद ज़रूरी होता है. ऐसे मामलों में आर्टिफिशियल डिस्क रिप्लेसमेंट, पारंपरिक फ्यूजन सर्जरी का बेहतर विकल्प बनकर सामने आता है. समय पर की गई सर्जरी न केवल आजीवन विकलांगता के खतरे को कम करती है, बल्कि मरीज़ को जल्दी ठीक होने में भी मदद करती है. जब सर्जरी सही समय पर की जाए, तकनीक और उपकरण सही हों और पूरी टीम समन्वय के साथ काम करे, तो नतीजे भी बेहतर आते हैं और मरीज़ की ज़िंदगी भी. ऐसे मामलों में हम सिर्फ बीमारी का इलाज नहीं करते, बल्कि मरीज़ को फिर से सामान्य और सक्रिय जीवन में लौटने का मौका देते हैं.”
यह मामला यह भी दिखाता है कि आज रीढ़ से जुड़ी समस्याएं सिर्फ बुज़ुर्गों तक सीमित नहीं रहीं. अब 30 की उम्र के आस-पास के युवाओं में भी डिस्क डीजेनरेशन यानी रीढ़ की डिस्क के घिसने की समस्या तेजी से देखी जा रही है. इसके पीछे जीवनशैली, लंबी यात्राएं, गलत बैठने की आदतें या शरीर की बनावट जैसी कई वजहें हो सकती हैं. ऐसे में यह ज़रूरी है कि शरीर में हो रहे छोटे-छोटे बदलावों को नजरअंदाज न किया जाए. समय रहते की गई जांच और सही इलाज से बड़े और स्थायी नुकसान से बचा जा सकता है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT