Updated on: 31 August, 2024 05:11 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि न्यायपालिका को संविधान का संरक्षक माना जाता है और न्यायपालिका ने अपनी जिम्मेदारी निभाई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। तस्वीर/पीटीआई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े मामलों में त्वरित न्याय की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि इससे महिलाओं को अपनी सुरक्षा का अधिक भरोसा मिलेगा. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि न्यायपालिका को संविधान का संरक्षक माना जाता है और सुप्रीम कोर्ट तथा न्यायपालिका ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है. प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की मौजूदगी में जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के लोगों ने कभी भी सुप्रीम कोर्ट या न्यायपालिका के प्रति कोई अविश्वास नहीं दिखाया है. प्रधानमंत्री ने आपातकाल को "काला" दौर बताते हुए कहा कि न्यायपालिका ने मौलिक अधिकारों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
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रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों पर कहा कि न्यायपालिका ने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए राष्ट्रीय अखंडता की रक्षा की है. कोलकाता में एक डॉक्टर के साथ कथित बलात्कार और हत्या तथा ठाणे में दो किंडरगार्टन लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न की पृष्ठभूमि में उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और बच्चों की सुरक्षा समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय है. प्रधानमंत्री ने आगे कहा, "महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामलों में जितनी तेजी से न्याय होगा, आधी आबादी को अपनी सुरक्षा के बारे में उतना ही अधिक भरोसा होगा." पीएम मोदी ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए कई कड़े कानून हैं और त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए आपराधिक न्याय प्रणाली के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने की आवश्यकता है. अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, "आजादी के अमृतकाल में 140 करोड़ देशवासियों का एक ही सपना है- विकसित भारत, नया भारत. नया भारत, यानी सोच और दृढ़ संकल्प वाला आधुनिक भारत. हमारी न्यायपालिका इस विजन का एक मजबूत स्तंभ है".
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि न्याय में देरी को खत्म करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री ने कहा, "पिछले एक दशक में न्याय में देरी को खत्म करने के लिए विभिन्न स्तरों पर महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं. पिछले 10 वर्षों में देश ने न्यायिक बुनियादी ढांचे के विकास पर लगभग 8,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. दिलचस्प बात यह है कि पिछले 25 वर्षों में न्यायिक बुनियादी ढांचे पर खर्च की गई कुल राशि का 75 फीसदी अकेले पिछले 10 वर्षों में खर्च किया गया है." उन्होंने कहा, "हमें भारतीय न्यायिक संहिता के रूप में नया भारतीय न्यायिक कानून मिला है. इन कानूनों की भावना है - `नागरिक पहले, सम्मान पहले और न्याय पहले`. हमारे आपराधिक कानून शासकों और गुलामों की औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त हैं." प्रधानमंत्री मोदी ने सर्वोच्च न्यायालय की भी प्रशंसा की और कहा कि न्यायपालिका संविधान की रक्षक है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "हमारे लोकतंत्र में न्यायपालिका को संविधान का रक्षक माना जाता है. यह अपने आप में एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. हम संतोष के साथ कह सकते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस जिम्मेदारी को पूरा करने का एक उत्कृष्ट प्रयास किया है." प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत के लोगों ने कभी भी सर्वोच्च न्यायालय, हमारी न्यायपालिका पर अविश्वास नहीं किया है. `लोकतंत्र की जननी` के रूप में सर्वोच्च न्यायालय के 75 वर्ष भारत के गौरव को और बढ़ाते हैं. इससे हमारे सांस्कृतिक लोकाचार को भी मजबूती मिलती है, जिसमें कहा गया है, `सत्यमेव जयते-ननृतम्`."
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