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सचिन तेंदुलकर ने कोचों को दीं पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए शुभकामनाएं

Updated on: 21 July, 2024 08:47 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

भारत टोक्यो ओलंपिक 2020 से अपने पदक तालिका में सुधार करना चाहेगा जिसमें एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य पदक शामिल हैं.

सचिन तेंदुलकर (फाइल फोटो)

सचिन तेंदुलकर (फाइल फोटो)

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सचिन तेंदुलकर ने कोचों को पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए शुभकामनाएं दीं. पेरिस ओलंपिक 26 जुलाई से शुरू होकर 11 अगस्त तक चलेगा. भारत टोक्यो ओलंपिक 2020 से अपने पदक तालिका में सुधार करना चाहेगा जिसमें एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य पदक शामिल हैं. सचिन तेंदुलकर ने अपने बचपन के कोच आचरेकर सर को याद करते हुए सोशल मीडिया पर अपने विचार व्यक्त किए. 

सचिन ने एक्स पर लिखा, "गुरु पूर्णिमा वह दिन है जब हम अपने गुरुओं को हमारे जीवन में बदलाव लाने के लिए उनकी गहरी प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद देते हैं. आज, मैं आचरेकर सर को याद करता हूं और उनके द्वारा मेरे जीवन में किए गए बदलाव के लिए उन्हें धन्यवाद देता हूं. आचरेकर सर क्रिकेट में अपने योगदान के लिए द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता थे. खेल और अपने खिलाड़ियों के प्रति उनका समर्पण बेजोड़ था. उनकी तरह ही, कई कोच भारत में खेलों की बेहतरी के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं". उन्होंने कहा "ओलंपिक के करीब आने के साथ, मैं ओलंपिक खेलों के सभी कोचों को उनके समर्पण और प्रेरणा के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं. राष्ट्र आपके योगदान के लिए बहुत आभारी है. पेरिस ओलंपिक में सभी कोचों और उनके खिलाड़ियों को मेरी शुभकामनाएं".


किसी की सफलता में गुरु को महत्वपूर्ण व्यक्ति माना जाता है. लोग अपने गुरुओं से मिलने आते हैं और उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार उपहार देते हैं. इसके पीछे मान्यता यह है कि गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुओं का सम्मान करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं. वाराणसी में इस दिन गुरु मंत्र लेने की भी परंपरा है.


आज यानि आषाढ़ पूर्णिमा के दिन स्नान और दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है. गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ी पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसी दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था. इस सांसारिक जीवन में गुरु का विशेष महत्व होता है. यही वजह है कि भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान से भी अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. यह पर्व सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि जैन, बौद्ध और सिख धर्म के लोग भी मनाते हैं. बौद्ध धर्म में भगवान बुद्ध ने इसी दिन पहला धर्म चक्र प्रवर्तन किया था.


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