दालों के महत्व और विविध लाभों को चिह्नित करने के लिए प्रतिवर्ष 10 फरवरी को वर्ल्ड पल्सेस डे मनाया जाता है. फोटो सौजन्य: आईस्टॉक
कुलथी दाल (कोल्लू या कुल्थी दाल)
ये प्रोटीन और आयरन से भरपूर होते हैं. वे वेट मैनेजमेंट में मदद करते हैं, कोलेस्ट्रॉल कम करते हैं और पाचन स्वास्थ्य के लिए भी अच्छे होते हैं. कुलथी दाल का उपयोग पारंपरिक रूप से पथरी जैसे मूत्र रोगों के इलाज, मासिक धर्म को नियमित करने और अल्सर को ठीक करने के लिए किया जाता था. इन्हें मुख्यतः सर्दियों में खाया जाता है.
ब्लैक आइड पीज़ (लोबिया)
ये फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर हैं, हृदय स्वास्थ्य का समर्थन करते हैं, पाचन में सुधार करते हैं और त्वचा और आंखों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करते हैं. इन्हें हर मौसम में खाया जा सकता है.
मोठ की फलियाँ (मटकी)
इनमें प्रोटीन, विटामिन और खनिज उच्च मात्रा में होते हैं. वे मांसपेशियों की वृद्धि को बढ़ावा देते हैं, रक्त शर्करा के स्तर को विनियमित करने में मदद करते हैं और त्वचा के स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देते हैं. इन्हें हर मौसम में खाया जा सकता है.
लबलैब बीन्स (अवारेकालु)
ये विटामिन और खनिजों का अच्छा स्रोत हैं. वे रक्तचाप को नियंत्रित करने, प्रतिरक्षा में सुधार करने और हड्डियों के स्वास्थ्य का समर्थन करने में मदद करते हैं. इन्हें मुख्यतः सर्दियों में खाया जाता है.
काली मटर (काला वतन)
इसे भुनी हुई मटर या अरहर की दाल भी कहा जाता है, ये मैंगनीज, मोलिब्डेनम और एंथोसायनिन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं. एंटीऑक्सीडेंट की मौजूदगी के कारण इनमें सूजन पैदा करने वाले गुण भी होते हैं. यह मधुमेह और हृदय रोगों जैसी चयापचय स्थितियों और कैंसर और आंखों की देखभाल जैसी स्थितियों में भी उपयोगी है. इन्हें हर मौसम में खाया जा सकता है.
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